नवीनतम लेख

आखिर यमुना में ही क्यों छुपा था कालिया नाग

भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज के एक लेख में हमने आपको बताया था कि कैसे भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना में कूदकर कालिया नाग से युद्ध किया था। क्योंकि उसके विष से यमुना जहरीली हो रही थी। भगवान ने एक दिन गेंद ढूंढने का बहाना बनाकर उसके अहंकार को तोड़ा और उसे यमुना छोड़कर जाने का आदेश दिया। ये कहानी आप पढ़े चुके हैं, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि आखिर यह भयंकर नाग कौन था? और क्यों यमुना में आकर रहने लगा था?


भक्त वत्सल की जन्माष्टमी स्पेशल सीरीज ‘श्रीकृष्ण लीला’ के सातवें एपिसोड में आज हम आपको कालिया नाग के यमुना में निवास की कहानी बताएंगे। 


ब्रह्माजी के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति की पुत्री विनिता और कद्रु का विवाह कश्यप मुनि से हुआ था। कश्यप ऋषि ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया और अपनी दोनों पत्नी विनता और कद्रु से पूछा कि उन्हें कितने पुत्र चाहिए। बहन होने के बावजूद भी कद्रु विनिता से बहुत जलन रखती थी। तभी जब ऋषि कश्यप के पूछने पर विनता ने 2 पुत्रों की कामना की तो कद्रु ने बहुत सारे पुत्र होने की इच्छा जाहिर की। इन दोनों की इच्छानुसार गर्भवती होने के बाद कद्रु हजार अंडों से निकले सांपों की मां बनी। वहीं विनिता ने दो अंडों से अरुण और गरुड़ जी जन्मे। 


गरुड़ ने देवताओं से अमृत कलश छिन लिया


एक बार कद्रु ने विनता को छल से खेल में हराकर उसे अपनी नौकरानी बनाकर बंदी बना लिया। उसने उसे छोड़ने के लिए शर्त रखी कि गरुड़ या अरुण में से कोई एक उनके पुत्रों के लिए अमृत लाकर दे और अपनी मां को आजाद करवा कर ले जाएं। अपनी मां को दासी के रूप में देखना गरुड़ जी के लिए बड़ा कष्टदायक था। एक बार जब युद्ध में देवों ने दानवों से अमृत कलश छिन लिया तो गरुड़ ने उसे देवताओं से छीन लिया। 


श्रीकृष्ण ने कालिया नाग को भयमुक्त किया


गरुड़ ने यह कलश कद्रु को दिया और अपनी मां को मुक्ति दिलाई। लेकिन उसी रात इंद्र ने अमृत कलश चुरा लिया। दूसरे दिन कलश को न पाकर सभी सांपों ने गुस्से में गरुड़ जी पर हमला कर दिया। तभी से सांपों और गरुड़ जाति में दुश्मनी भी हो गई। इन नागों में कद्रु का पुत्र और पन्नग जाति का नागराज कालिया नाग भी था। वह रमण द्वीप में रहता था, लेकिन पक्षीराज गरुड़ से शत्रुता हो जाने के बाद मृत्यु के भय से वो यमुना नदी में जाकर छुप गया था। क्योंकि वह जानता था कि पक्षी कभी जल में हमला नहीं कर सकते। लेकिन जब श्रीकृष्ण ने उसे भयमुक्त किया तो वह यमुना छोड़कर फिर से अपने द्वीप पर चला गया।

मिशरी से मिठो नाम(Mishri Se Mitho Naam)

मिशरी से मिठो नाम,
हमारी राधा रानी को,

श्री विन्धेश्वरी चालीसा (Shri Vindheshwari Chalisa)

नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब ।
सन्तजनों के काज में, करती नहीं विलम्ब ॥

माघ गुप्त नवरात्रि में क्या दान करें

सनातन हिंदू धर्म के वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्तमान में माघ का पवित्र महीना चल रहा है। इस दौरान पड़ने वाली नवरात्रि को माघ गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।

मार्च के व्रत और त्योहार

फाल्गुन मास का प्रारंभ होते ही हिंदू धर्म में कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं। फाल्गुन मास में मनाए जाने वाला रंगों का त्यौहार जिसे हम होली कहते हैं।