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पाताल लोक में क्यों सोते हैं भगवान
सनातन धर्म में श्री ब्रह्मा, श्री विष्णु और श्री महेश तीनों को सभी देवी देवताओं में श्रेष्ठ माना गया है। इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं।
शरद पूर्णिमा के समापन के बाद कार्तिक मास की शुरुआत हो जाती है। हिंदू धर्म में कार्तिक मास को विशेष महत्व प्राप्त है। इस महीने जगत के पालनहार भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है।
देवउठनी एकादशी पर इन देवताओं की होती है पूजा
एकादशी व्रत आध्यात्मिक शुद्धि से संबंधित एक पवित्र त्योहार के रूप में मनाई जाती है। यह भगवान विष्णु को समर्पित है जो जगत के रक्षक माने जाते हैं।
देव उठनी एकादशी पर क्या खाना चाहिए?
सनातन धर्म में एकादशी का बहुत महत्व है। साल में दो एकादशी बड़ी एकादशी मानी जाती है, जिसका महत्व साल भर में पड़ने वाली सभी एकादशी के बराबर होता है।
चतुर्मास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य
चातुर्मास यानी चौमासा में सारे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। वहीं, आषाढ़ माह की आखिरी एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के उपाय
“बोर भाजी आंवला, उठो देव सांवला।” ये कहावत तो हर किसी ने अपने घर में सुनी होगी। दरअसल, ये वही कहावत है जिसके द्वारा हर किसी के घर में देव उठनी ग्यारस के दिन भगवान का आह्वान होता है।
देवउठनी एकादशी पर जरूर करें ये उपाय
सनातन धर्म में सभी तिथि किसी ना किसी देवी-देवता को ही समर्पित है। इसी प्रकार से हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है।
एकादशी में देवों को जगाने के मंत्र
पौराणिक मान्यता है कि देव उठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जाग कर एक बार पुनः संसार के संचालन की कमान अपने हाथों में ले लेते हैं।
शास्त्रों के अनुसार देव उठनी एकादशी भगवान् श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ट दिन है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की तिथि को देव उठनी एकादशी मनाई जाती है।