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महाकुंभ

हठयोगी, जो सिर पर धारण किए हैं 225000 रुद्राक्ष

महाकुंभ भारत का एक विशाल धार्मिक समागम है जो हर 12 साल में आयोजित किया जाता है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा मेला है और दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक है। वहीं 12 साल के बाद प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है।

क्यों किया जाता है हठयोग

महाकुंभ का आगाज अब दूर नहीं है। इस महान धार्मिक आयोजन की तैयारियां जोरों पर हैं। लाखों श्रद्धालुओं के आगमन को देखते हुए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। महाकुंभ में साधु-संतों का विशेष महत्व होता है।

हठयोगी के कितने प्रकार होते हैं

आपने अक्सर साधु-संतों को अजीबोगरीब मुद्राओं में, शरीर को कष्ट देते हुए देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? क्या आप जानते हैं कि यह सब हठयोग से जुड़ा हुआ है?

महाकुंभ में भक्त वत्सल 1 लाख लोगों को करा रहा फ्री भोजन

महाकुंभ, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है। हर बार जब यह महाकुंभ लगता है, तो लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।

महाकुंभ में ऐसे करें दान और पुण्य के भागी बनें

प्रयागराज में अब जल्द ही महाकुंभ आरंभ होने जा रहा है और अभी से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इस पवित्र नगरी में भक्ति का रंग चरम पर देखने को मिल रहा है। इसी बीच, भक्त वत्सल संस्था एक अद्भुत कार्य कर रही है।

महाकुंभ में किस देवी की पूजा करते हैं किन्नर?

अखाड़े सनातन धर्म में साधु संतों का बड़ा केंद्र है। यही से साधु संत अपनी दीक्षा पूरी कर संन्यास धारण करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 13 अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। यह 13 अखाड़े भी 3 संप्रदाय में बंटे हुए हैं।

कौन हैं किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर

अखाड़ों को महाकुंभ की शान माना जाता है। इनके बिना कुंभ अधूरा है। आम तौर पर अखाड़ों में पुरुष और महिला संत होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नरों का एक अपना अखाड़ा है। जी हां 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई थी।

शाही स्नान करने के बाद क्या उपाय करें

महाकुंभ हिंदू धर्म के सबसे बड़े समागमों में से एक है। 13 फरवरी से प्रयागराज में इसकी शुरुआत होने जा रही है। ये 45 दिनों तक चलेगा और 26 फरवरी को शिवरात्रि के मौके पर खत्म होगा।

घर बैठे पाएं महाकुंभ का पुण्य

अब वह समय नजदीक है, जब प्रयागराज के संगम तट पर बड़े-बड़े तंबू, नागा साधुओं की भीड़, चिलम सुलगाते बाबा और जटाएं लहराते संतों के संग सैकड़ों श्रद्धालु डुबकी लगाते दिखाई देंगे। यह दृश्य लगभग 13 जनवरी से देखने को मिलेगा, जब महाकुंभ मेला शुरू होगा।