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सिर पर फसल उगाकर तपस्या करने वाले बाबा

महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।

महाकुंभ में आए चाबी वाले बाबा की कहानी

आस्था की नगरी प्रयागराज 12 साल बाद महाकुंभ 2025 के लिए पूरी तरह से तैयार है। देश के कोने-कोने से साधु-संतों का यहां पर लगातार आगमन हो रहा है। इस विशाल धार्मिक आयोजन में हरिश्चंद्र विश्वकर्मा, जिन्हें चाबी वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, विशेष ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

महाकुंभ में आए टार्जन बाबा की कहानी

यूपी के प्रयागराज में संगम नगरी में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, महाकुंभ, आयोजित होने जा रहा है। इस ऐतिहासिक मेले की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

चाय पर जिंदा महाकुंभ में आए 'पयहारी बाबा'

महाकुंभ, संतों और साधुओं का सबसे बड़ा समागम, हमेशा से अनोखे लोगों का गवाह रहा है। इनमें से एक हैं, मौनी बाबा, जिनका जीवन एक प्रेरणा का स्रोत है। बुंदेलखंड के महोबा से आए मौनी बाबा का नाम आजकल हर जगह सुनाई दे रहा है।

महाकुंभ के रबड़ी वाले बाबा, पढ़ें अनोखी कहानी

महाकुंभ, हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहारों में से एक है। यह एक ऐसा धार्मिक समागम है जिसके लिए करोड़ों लोग देश-विदेश से आते हैं।

कुंभ में रूद्राक्ष से बने 12 ज्योतिर्लिंग

13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में इस बार कई अनोखी चीजें देखने को मिल रही हैं। संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में देश-विदेश से हजारों संत पहुंचे हैं। बता दें कि इस बार के महाकुंभ में ऐसी कई चीजें लोगों को पहली बार देखने को मिली हैं।

नागा संन्यासी के 21 श्रृंगार

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान पुष्य और पुनर्वसु नक्षत्र में आरंभ हो चुका है। प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी के पूजन के उपरांत नागा साधु शिव के स्वरूप में खुद को सजा चुके हैं।

महाकुंभ से इस दिन चले जाएंगे नागा साधु

महाकुंभ के अमृत स्नान की शुरुआत हो चुकी है। बता दें कि 13 जनवरी से 26 फरवरी तक यह भव्य महाकुंभ चलेगा। धार्मिक मान्यता है कि 144 सालों बाद इस तरह का शुभ योग इस बार के महाकुंभ में बना है।

महाकुंभ में अमेरिकी बाबा

प्रयागराज में आयोजित हो रहा महाकुंभ इन दिनों सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। यहां दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर पवित्र स्नान के लिए एकत्रित हुए हैं।