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धैर्य लक्ष्मी को अष्टलक्ष्मी में पांचवां स्थान मिला है। धैर्य लक्ष्मी की आराधना से हमें धन और जीवन प्रबंधन में मदद मिलती है।
मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों में से आठवां स्वरूप हैं विद्या लक्ष्मी का जो विज्ञान और कला के साथ ज्ञान की देवी हैं। इनकी आराधना करने से इन तीनों चीजों में व्यक्ति वृद्धि और विकास करता है।
माता लक्ष्मी के प्रसिद्ध स्त्रोत
जैसा कि आप सभी जानते हैं मां लक्ष्मी के कुल आठ स्वरूप हैं। वैसे तो दीपावली पर हम सभी मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं लेकिन मां लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों में से प्रत्यक्ष स्वरूप को प्रसन्न करने हेतु मां लक्ष्मी के इन अष्ट स्वरूपों से संबंधित स्त्रोत का पाठ कर आप मनोवांछित फल प्राप्त कर सकते हैं।
आदि लक्ष्मी, मां लक्ष्मी का पहला स्वरूप हैं। मान्यता है कि आदि लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है तथा मृत्यु के बाद मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। आदि लक्ष्मी को महालक्ष्मी भी कहा जाता है।
मां लक्ष्मी के वाहन उल्लू की पौराणिक कथा
दिपावली पर लक्ष्मी पूजा का सबसे अधिक महत्व है। माता के अष्ट लक्ष्मी स्वरूपों की विधि पूर्वक पूजन करने से माता की कृपा प्राप्त होती है।
सनातन धर्म में धन की देवी मां महालक्ष्मी सभी सुखों को प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। आज के इस आधुनिक दौर में भी हिन्दू धर्म मे माता महालक्ष्मी की पूजा अत्यंत श्रद्धा के साथ की जाती है।
विजय का मतलब होता है जीत। अष्ट लक्ष्मी का एक स्वरूप विजय लक्ष्मी, विजया लक्ष्मी या जया लक्ष्मी का भी है जो जीत का ही प्रतीक माना गया है।
अष्ट लक्ष्मी की पूजा से होते हैं ये लाभ
दीपावली के पावन पर्व पर हर व्यक्ति यह चाहता है कि वह मां लक्ष्मी का पूजन इस प्रकार करें कि उसे मनवांछित फल की प्राप्ति हो।
देश में दिवाली मनाने के अनूठी परंपराएं
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी पर्वों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं।