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कुंभ की शुरुआत में अब 15 दिन से कम का समय रह गया है। 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत होने वाली है। इस दौरान देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु और साधु-संत पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर अपनी आस्था प्रकट करेंगे। हिंदू धर्म शास्त्रों में इन शाही स्नानों को विशेष महत्व दिया गया है। इन्हें आस्था और पवित्रता का प्रतीक माना गया है। बता दें कि महाकुंभ के दौरान छह शाही स्नान होंगे, शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से होगी। वहीं समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर अंतिम शाही स्नान के साथ होगा। शाही स्नान का धार्मिक महत्व क्या है? क्या इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है? आइए, इन सवालों का जवाब जानते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार, महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों का जल अमृत समान हो जाता है। प्रयागराज में संगम का तट पर्व का मुख्य केंद्र बनने वाले है। इसे त्रिवेणी घाट कहा जाता है, और यहीं शाही स्नान संपन्न होने वाले हैं। धार्मिक मान्यता है कि शाही स्नान के दिन ब्रह्म मुहूर्त में देवी-देवता धरती पर उतरकर स्नान करते हैं। इसी कारण से इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष का मार्ग खुलता है।
जी हां, कुभ के दौरान शाही स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है, वहीं आत्मा की भी शुद्धि होती है। व्यक्ति का मन शांत और स्थिर होता है। यह स्नान व्यक्ति को नया जीवन प्रारंभ करने का अवसर प्रदान करता है। शाही स्नान के समय संत, महात्मा, और अखाड़ों के प्रमुख लोग स्नान करते हैं। इस कारण से स्नान साधु-संतों की उपस्थिति के कारण और भी पवित्र माना जाता हैI
13 जनवरी - पौष पूर्णिमा
14 जनवरी - मकर संक्रांति
29 जनवरी - मौनी अमावस्या
3 फरवरी - बसंत पंचमी
12 फरवरी - माघी पूर्णिमा
26 फरवरी - महाशिवरात्रि
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