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नौलखा मंदिर, देवघर, झारखंड (Naulakha Temple, Deoghar, Jharkhand)


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दर्शन समय

7 AM - 12 PM | 2 PM - 7 PM

146 फीट ऊंचा है देवघर का नौलखा मंदिर, बंगाल के राजघराने ने कराया निर्माण 



बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर में सुंदरता और वास्तुकला का अनूठा संगम नौलखा मंदिर देवघर के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक एवं ऐतिहासिक स्थलों में से एक है। नौलखा मंदिर, भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है। यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की अनूठा उदाहरण है। इसके नामकरण को लेकर भी एक रोचक कहानी है।


इतिहासकारों के अनुसार 146 फीट ऊंचे नौलखा मंदिर का निर्माण पश्चिम बंगाल के पथरिया घाट राजघराने की रानी चारुशिला के द्वारा 1941 में कराया गया था। चारुशिला ने अपने पति अक्षय घोष और बेटे जितेंद्र घोष को समय से पहले खो दिया था। इससे वह टूट गई और शांति की तलाश में अपना घर छोड़कर चली गई। 



9 लाख रूपए में बना इसलिए नाम नौलखा 



इस दौरान संत बालानंद ब्रह्मचारी से मिली तो उन्होंने मंदिर के निर्माण की सलाह दी थी। कहा जाता है कि इसके निर्माण में 9 लाख रुपये की लागत आई थी। इसलिए इसका नाम नौलखा मंदिर पड़ा है। यह मंदिर बेलूर के राधा कृष्ण मंदिर से काफी मिलता-जुलता है। इस मंदिर में कई देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित है, यहां श्री कृष्ण बाल गोपाल के रूप में विराजमान है। 


ये मंदिर ग्रेनाइट और संगमरमर से बना है। इसमें राधा, कृष्ण, गोपाल और बालानंद ब्रह्मचारी की मूर्तियां हैं। इसके प्रवेश द्वार पर रानी चारुशिला की एक मूर्ति है। मंदिर का वास्तुशिल्प डिजाइन रामकृष्ण मिशन, बेलूर मठ से मिलता जुलता है।


मंदिर में फोटो, वीडियोग्राफी पर रोक है 



इस मंदिर में पूजा करने के लिए झारखंड के अलावा, बिहार, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा से भी श्रद्धालु पहुंचते है। देवघर पर्यटन के लिए आए लोग मंदिर की खूबसूरती देखने जरूर आते हैं। 


मंदिर का क्षेत्र बड़ा है, और आप अपनी इच्छानुसार मंदिर के अंदर रह सकते हैं। फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति मंदिर के अंदर नहीं है। आप मंदिर के बाहर का फोटो ले सकते हैं। 


कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा देवघर हवाई अड्डा है। जो कि 7 किमी दूर है। यहां से आप टैक्सी या ऑटो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - देवघर रेलवे स्टेशन प्रमुख मार्गों से जुड़ा हुआ है। यहां से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा लेकर मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।


सड़क मार्ग - देवघर जिले में कई प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है। यहां पर स्थानीय ऑटो और टैक्सी की भी अच्छी सुविधा उपलब्ध है।


मंदिर का समय - सुबह 7 बजे से 12 बजे तक, दोपहर 2 बजे से 7 बजे तक।


डिसक्लेमर

'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।