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12 नवंबर को देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास का समापन हो गया है और चार महीनों से बंद पड़े मांगलिक कार्य, विशेषकर विवाह समारोह, देवउठनी एकादशी के शुरू हो गए हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी के दिन से विवाह का शुभारंभ होता है, और इस बार भी उसी परंपरा का अनुसरण किया जा रहा है।
बिहार के इस मंदिर में मुफ्त होती हैं शादी
बिहार के बेगूसराय जिले के नगर परिषद बीहट में बड़ी मां दुर्गा मंदिर एक अनूठी परंपरा का केंद्र है। यहां, बिना खर्च के हर साल हजारों विवाह कराए जाते हैं।
सूर्य उपासना से होंगे रोग मुक्ति
सूर्य उपासना आरोग्यता और आध्यात्मिक शांति प्रदान करने वाली मानी जाती है। प्राचीन कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब को सूर्य उपासना के द्वारा ही कुष्ठ रोग से मुक्ति मिली थी।
पाकिस्तान में भी मनाया जाता है करवा चौथ
करवा चौथ के दिन भारत के विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है और कई स्थानों पर मेले और विशेष आयोजन भी किए जाते हैं। भारत के अलावा कुछ अन्य देशों में भी करवा चौथ मनाया जाता है।
करवा चौथ में छलनी-करवा का महत्व
महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को निर्जला उपवास रखती हैं। इसे करवा चौथ कहा जाता है।
सनातन धर्म में कई सारे व्रत और त्योहार होते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन करवा चौथ का व्रत बहुत ही खास माना गया है जो कि हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
इस तरह करें करवा चौथ की तैयारी
करवा चौथ का दिन आमतौर पर हिंदु कैंलेडर के अनुसार कार्तिक महीने की पूर्णिमा के चौथे दिन मनाया जाता है। महिलाएं अपने पति के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए ये निर्जला उपवास रखती है।
प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरु हो गया उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी।
कैसे बनीं दिशाएं, कौन होते हैं दिग्पाल
सनातन धर्म केवल एक धर्म या सम्प्रदाय नहीं बल्कि जीवन जीने की एक उत्तम पद्धति में से एक है। हमारे शास्त्रों में दस दिशाओं के साथ उनके दिग्पालों का भी वर्णन मिलता है।