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दैत्य गुरु का मीन राशि में प्रवेश, इनको होगा लाभ
28 जनवरी को, शुक्र ग्रह, जो भौतिक सुख, कला, प्रेम और आकर्षण का कारक माना जाता है, मीन राशि में प्रवेश करेगा। यह शुक्र के लिए अपनी उच्च राशि है, जिसका अर्थ है कि शुक्र अपनी अधिकतम शक्ति और प्रभाव के साथ इस राशि में विराजमान होगा।
शुक्र का गुरु के घर में प्रवेश, इन राशियों को मिलेगा लाभ
वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को एक अत्यंत शुभ ग्रह माना जाता है। वे ऐश्वर्य, वैभव, सुख, सौंदर्य और प्रेम के कारक हैं। शुक्र ग्रह लगभग हर महीने अपनी राशि बदलते रहते हैं, और उनके इस गोचर का सभी राशियों पर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है।
माघ माह में क्या दान करना चाहिए?
माघ का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने को देवताओं का महीना भी कहा जाता है। माघ महीने में कई धार्मिक अनुष्ठान, त्योहार और मेले आयोजित किए जाते हैं।
खरमास के बाद कब शुरू होंगे मांगलिक कार्य
हिंदू धर्म में "खरमास" एक विशेष मास है, जिसे मांगलिक कार्यों को करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है। खरमास का समय आम तौर पर दो महीनों के बीच होता है। एक महीना सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद और दूसरा महीना मकर राशि के अंदर या मकर संक्रांति के बाद होता है।
माघ महीना इन राशियों के लिए लाभकारी
हिंदू धर्म में माघ का महीना एक विशेष महत्व रखता है। यह महीना आमतौर पर जनवरी और फरवरी के महीनों में पड़ता है। माघ महीने को हिंदू कैलेंडर का 11वां महीना माना जाता है। माघ महीने में भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है।
माघ का महीना हिंदू धर्म में बेहद पवित्र माना जाता है। इसे भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना भी कहा जाता है। इस महीने में संगम तट पर होने वाला माघ मेला लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। माघ महीने में पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, वर्ष का 11वां महीना माघ मास कहलाता है। यह महीना पौष पूर्णिमा के तुरंत बाद शुरू होता है। माघ मास को सनातन धर्म में बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। इस महीने में भगवान विष्णु और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में जीवन को पवित्र और श्रेष्ठ बनाने के लिए 16 संस्कारों का प्रावधान है। ये संस्कार जीवन के विभिन्न चरणों में संपन्न किए जाते हैं। इन्हीं में से एक है जातकर्म संस्कार, जिसे शिशु के जन्म के बाद किया जाता है।
बच्चे के जन्म के बाद हिंदू धर्म में पूरे विधि-विधान के साथ नामकरण संस्कार को पूर्ण किया जाता है। यह 16 संस्कारों में से पांचवा और बेहद महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। बता दें कि नामकरण संस्कार के माध्यम से बच्चे को एक पहचान दी जाती है।