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कौन थे भीष्म के 7 भाई?

 Bhishma Ashtami 2025: कौन थे भीष्म के 7 भाई, और क्यों गंगा ने जन्म लेते ही उन्हें नदी में बहा दिया था?


भीष्म पितामह गंगा और महाराज शांतनु के आठवें पुत्र थे। गंगा ने अपने पहले सात पुत्रों को जन्म लेते ही नदी में प्रवाहित कर दिया था। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है।


गंगा और शांतनु का विवाह


राजा प्रतीप, जो शांतनु के पिता थे, गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे। गंगा ने उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन प्रतीप ने कहा कि वह उन्हें अपनी पुत्रवधू के रूप में स्वीकार करेंगे। जब प्रतीप को पुत्र हुआ, तो उसका नाम शांतनु रखा गया। बड़े होने पर शांतनु का विवाह गंगा से हुआ, लेकिन एक शर्त पर – राजा शांतनु गंगा के किसी भी कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।


गंगा ने अपने 7 पुत्रों को क्यों बहा दिया?


गंगा और शांतनु के आठ पुत्र हुए, लेकिन गंगा ने पहले सातों पुत्रों को नदी में बहा दिया। राजा शांतनु इस क्रूर कर्म को देखकर भी अपनी प्रतिज्ञा के कारण कुछ नहीं कह सके। जब गंगा आठवें पुत्र को भी बहाने लगीं, तो शांतनु से रहा नहीं गया और उन्होंने गंगा को रोक दिया।

गंगा ने तब बताया कि उनके ये पुत्र अष्ट वसु थे, जो ऋषि वशिष्ठ के शाप के कारण धरती पर जन्म लेने को बाध्य हुए थे। गंगा ने उन्हें कष्टों से बचाने के लिए मुक्त कर दिया। लेकिन आठवें वसु, जो बाद में भीष्म पितामह कहलाए, को राजा शांतनु ने बचा लिया। शाप के कारण भीष्म को जीवनभर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।


प्रदोष व्रत शुभ योग

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर शिव पूजन करने और उपवास रखने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

प्राण त्यागने से पहले भीष्म ने क्या कहा था?

सनातन धर्म में भीष्म अष्टमी का दिन अत्यंत शुभ माना गया है। यह महाभारत काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें अनेक शिक्षाएं निहित हैं। महाप्रतापी योद्धा भीष्म पितामह को इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था, जिसके कारण वे अपनी इच्छा से प्राण त्याग सकते थे।

झुमर झलके अम्बा ना, गोरा गाल पे रे(Jhumar Jhalke Amba Na Gora Gaal Pe Re)

झूमर झलके अम्बा ना,
गोरा गाल पे रे,

मासिक दुर्गाष्टमी उपाय

मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, यह दिन मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का होता है।