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गुप्त नवरात्रि में देवी पूजा कैसे करें

गुप्त नवरात्रि में कौन से दिन कौन सी देवी की होती है पूजा? जानें महत्व और पूजा विधि


यूं तो नवरात्रि पूरे साल मे 4 बार आती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो नवरात्रि माघ और आषाढ़ के समय मनाई जाती है। जिन्हें गुप्त नवरात्रि के रूप मे जाना जाता है। इस साल गुप्त नवरात्रि का आरंभ 30 जनवरी 2025 से हुआ है। इस दौरान जिन 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। जिनमें मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती समेत अन्य देवियां शामिल हैं। तो आइए, इस आर्टिकल में विस्तार पूर्वक जानते हैं कि गुप्त नवरात्रि में कौन से दिन कौन सी देवी की पूजा होती है। 


क्यों खास होती है गुप्त नवरात्रि? 


गुप्ता नवरात्रि मे 10 महाविधियों की पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि मे, प्रमुख रूप से तंत्र मंत्र की सिद्धि प्राप्त करने के लिए यह पूजा तांत्रिक और अघोरी करते है। वहीं, चैत्र और शारदीय नवरात्रि में माँ दुर्गा के 9 रूपों का पूजा अर्चना की जाती है। बता दें कि सभी नवरात्रि का शुभारंभ वैदिक पंचांग के अनुसार कलश स्थापना से शुभारंभ किया जाता है।


गुप्त नवारात्रि के पहले दिन: मां काली की पूजा 


माघ गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन मां काली की उपासना करने से शत्रुओं का असर खत्म हो जाता है। साथ ही साथ जीवन से नकारात्मक शक्तियां भी दूर हो जाती हैं। इसके अलावा सभी प्रकार के भय और रोग से भी मुक्ति मिल जाती है। इस दिन कम से कम 108 बार 'ॐ क्रीं कालिके स्वाहा।' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन: मां तारा की पूजा  


दस महाविद्याओं में दूसरे स्थान पर तारा माता की उपासना की जाती है। मां तारा को तारिणी के नाम से भी जाना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन मां तारा की उपासना से जीवन में सुख एवं समृद्धि का वास होता है। इस दिन 'ॐ ह्रीं स्त्रीं हुं फट' मंत्र का 1 माला अवश्य जाप करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन: मां षोडशी की पूजा 


देवी षोडशी की पूजा करने से भौतिक सुखों के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। वह अपने भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और अन्य सांसारिक सुखों का आशीर्वाद भी देती हैं। गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन 'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन: मां भुवनेश्वरी की पूजा 


गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां भुवनेश्वरी देवी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि माता की उपासना करने से वह अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पलक झपकते ही पूरी कर देती हैं। उनकी पूजा नाम, प्रसिद्धि, वृद्धि और समृद्धि के लिए उनकी पूजा की जाती है। इस विशेष दिन पर 'ॐ ह्रीं भुवनेश्वर्ये नम:' मंत्र का जाप करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन: माता भैरवी की पूजा 


दस महाविद्वाओं में पांचवे स्थान पर माता भैरवी हैं। इनकी उपासना गुप्त नवरात्रि के पांचवे दिन की जाती है। माता भैरवी शत्रुओं की विनाशिनी मानी जाती हैं। इसलिए, इनकी उपासना करने से साधक को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता आदि की प्राप्ति होती है। इस दिन 'ॐ ह्नीं भैरवी क्लौं ह्नीं स्वाहा' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के छठे दिन: देवी छिन्नमस्ता की पूजा 


गुप्त नवरात्रि पर्व के छठे दिन देवी छिन्नमस्ता की विधिपूर्वक उपासना की जाती है। मान्यता है कि देवी की पूजा करने से आत्म-सुख, भय से मुक्ति और स्वतंत्रता प्राप्ति में सहायता मिलती है। साथ ही शत्रुओं को परास्त करने, करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की और कुंडली जागरण के लिए मां छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। इस दिन 'श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्रवैरोचनीये हूं हूं फट् स्वाहा' मंत्र का जाप करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन: माता धूमावती की पूजा 


माता धूमावती की उपासना दस महाविद्वाओं में सातवें स्थान पर होती है। इन्हें मृत्यु की देवी भी माना जाता है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता धूमावती की उपासना करने से कई प्रकार के दुख व दुर्भाग्य से राहत मिलती है। इसके साथ ही ज्ञान, बुद्धि व सत्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन 'ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्' मंत्र का जाप प्रभावशाली करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन: मां बगलामुखी की पूजा 


गुप्त नवरात्रि की अष्टमी तिथि के दिन माता बगलामुखी की पूजा का विधान है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता बगलामुखी की उपासना करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती और उनसे सुरक्षा मिलती है। कहा यह भी जाता है कि देवी शत्रुओं को पंगु बना देती हैं। इस दिन ''ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिह्वां कीलयं बुद्धिं विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा' मंत्र का जाप करना चाहिए।


गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन: मां मातंगी की पूजा 


दस महाविद्वाओं में नौवें स्थान पर माता मातंगी हैं। इन्हें तांत्रिक सरस्वती के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन देवी की उपासना करने से साधक को गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है और ज्ञान में विकास होता है। इस विशेष दिन पर 'ॐ ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। 


गुप्त नवरात्रि के दसवें दिन: माता कमला की पूजा 


गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना का विधान है। उन्हें 'तांत्रिक लक्ष्मी' की संज्ञा भी दी गई है। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि के अंतिम दिन माता कमला की उपासना करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में आ रहे सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन 'ॐ ह्रीं अष्ट महालक्ष्म्यै नमः।' मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करना चाहिए। 


चैत्र मासिक शिवरात्रि कब है

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

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