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मासिक दुर्गा अष्टमी के शुभ योग

2025 की पहली मासिक दुर्गा अष्टमी पर बन रहे शुभ योग, जानें कौन-कौन मंगलकारी योग बनेंगे 


मासिक दुर्गा अष्टमी का व्रत हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इस साल मासिक दुर्गा अष्टमी का पहला व्रत 07 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो मासिक दुर्गा अष्टमी पर दशकों बाद एक साथ कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। जो इस दिन की पूजा को और भी खास बनाते हैं। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जिनमें सर्वार्थ सिद्धि योग, शिववास योग और अमृत सिद्धि योग का संयोग है। आइए, इन योग के बारे में जानते हैं- 


विशेष योग और उनके लाभ


सर्वार्थ सिद्धि योग


दुर्गा अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग का योग बन रहा है। इस योग का निर्माण शाम 05 बजकर 50 मिनट से हो रहा है। वहीं, समापन 08 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर होगा। इसी समय पर रवि योग का भी संयोग है। इसके साथ ही अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योगों में पूजा करने से हर प्रकार की मनोकामना पूरी हो सकती है। 


शिववास योग


पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिववास योग का भी संयोग है। इस योग का निर्माण शाम 04 बजकर 26 मिनट से हो रहा है, जो पूर्ण रात्रि तक है। इस समय मां दुर्गा और भगवान शिव का संगम माना जाता है। इस समय पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।


नक्षत्र एवं योग


पौष माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर रेवती एवं अश्विनी नक्षत्र का संयोग है। इसके साथ ही बव एवं बालव करण का संयोग है। इन योग में मां की पूजा भक्ति करने से सकल मनोरथ सिद्ध होंगे। साथ ही घर में सुख-शांति और खुशियां आती हैं।

वो काला एक बांसुरी वाला (Wo Kala Ek Bansuri Wala)

वो काला एक बांसुरी वाला,
सुध बिसरा गया मोरी रे ।

हो हो बालाजी मेरा संकट काटो ने (Ho Ho Balaji Mera Sankat Kato Ne)

हो हो बालाजी मेरा संकट काटो ने
हो इधर उधर न डोल रहया,

बिना लक्ष्मण के है जग सुना सुना (Bina Lakshman Ke Hai Jag Soona Soona)

लगी चोट रघुवर के तब ऐसी मन में,
रोके सुग्रीव से बोले जाओ,

अथ कीलकम् (Ath Keelakam)

कीलकम् का पाठ देवी कवचम् और अर्गला स्तोत्रम् के बाद किया जाता है और इसके बाद वेदोक्तम रात्रि सूक्तम् का पाठ किया जाता है। कीलकम् एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है जो चण्डी पाठ से पहले सुनाया जाता है।