नवीनतम लेख

जानें त्रिपुर भैरवी की महिमा

मां त्रिपुर भैरवी करती है संकटों से रक्षा, भैरवी जयंती पर जानें माता की महिमा, शक्ति और उपासना का महत्व 


हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन मां भगवती त्रिपुर भैरवी की जयंती मनाई जाती है। यह दिन मां त्रिपुर भैरवी की उत्पत्ति के रूप में मनाया जाता है जो शक्ति और साधना की प्रतीक हैं। धार्मिक मत है कि माता पार्वती ने भगवान शिव से मृत्यु के दर्द से मनुष्य की मुक्ति के लिए उपाय पूछा, जिस पर भगवान शिव ने 10 महाविद्याओं में मां त्रिपुर भैरवी को प्रकट किया। मां त्रिपुर भैरवी की उपासना से सफलता एवं संपदा की प्राप्ति होती है, साथ ही मां की साधना करने से अहंकार का नाश होता है। मां त्रिपुर भैरवी की जयंती के अवसर पर आईये उनकी महिमा, शक्ति और उनकी उपासना के महत्व को जानते हैं। 


कब है त्रिपुर भैरवी जयंती? 


पंचांग के अनुसार हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर त्रिपुर भैरवी जयंती मनाई जाती है। साल 2024 में इस तिथि की शुरूआत 14 दिसंबर को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगी जो 15 दिसंबर को रात 2 बजकर 31 मिनट तक जारी रहेगी। ऐसे में त्रिपुर भैरवी जयंती 15 दिसंबर को मनाई जाएगी।


कौन है माता त्रिपुर भैरवी? 


माता त्रिपुर भैरवी 10 महाविद्याओं में से छठी महाविद्या है, जो सौम्य कोटि की देवी मानी जाती हैं। उन्हें मां कालिका का ही स्वरूप माना जाता है और दुर्गा सप्तशती के अनुसार, उन्होंने ही महिषासुर नामक दैत्य का वध किया था। माता त्रिपुर भैरवी का संबंध महादेव के उग्र स्वरूप काल भैरव से है, और उनकी चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। वे लाल वस्त्र पहने हुए मां मुंड माला धारण करती हैं और कालभैरव की तरह उन्हें भी दंडाधिकारी कहा जाता है।


मां त्रिपुरी भैरवी की महिमा 


मां त्रिपुरी भैरवी देवी की महिमा अपरम्पार है। वह शक्ति की प्रतीक हैं और उनकी उपासना से साधक को असीम शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त होता है। मां त्रिपुरी भैरवी की महिमा के कुछ पहलू इस प्रकार हैं:


मां त्रिपुर भैरवी के स्वरूप और महत्व


मां त्रिपुर भैरवी के तेरह स्वरूप हैं। माता के किसी भी स्वरूप की साधना साधक को सार्थक कर देती है। मां त्रिपुर भैरवी कंठ में मुंडमाला धारण किए हुए हैं। मां ने लाल वस्त्र धारण किए हैं। मां के हाथ में विद्या तत्व है।


मां त्रिपुर भैरवी की पूजा और महत्व


मां त्रिपुर भैरवी की पूजा में लाल रंग का उपयोग करने से माता अतिशीघ्र प्रसन्न हो जाती हैं। मां त्रिपुर भैरवी के बीज मंत्रों का जप करने से संकटों से मुक्ति मिलती है। इन मंत्रों का जप करने वाला सौभाग्य और आरोग्य का अधिकारी बन जाता है।


मां त्रिपुर भैरवी की शक्ति और महत्व


मां शक्ति स्वरूपा हैं, इनकी उपासना से अहंकार का नाश होता है। मान्यता है कि मां अपने भक्त पर प्रसन्न हो जाती हैं तो उन्हें साक्षात दर्शन देती हैं। माता की साधना करते वक्त मंत्र जाप से उन्हें प्रसन्न किया जाता है।


मां त्रिपुर भैरवी की पूजा के लाभ


मां त्रिपुरा भैरवी मां शक्ति का अवतार हैं। इनके पूजन में लाल रंग का उपयोग करना उत्तम माना जाता है। मां सभी प्रकार के सुख प्रदान करने वाली हैं। वह समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं। मां मोक्ष प्रदान करती हैं। मां त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं।



सूर्यग्रहण में सूतक क्या होता है

हर ग्रहण के दौरान एक सूतक काल होता है। जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। सूतक काल का खास महत्व होता है। यह धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।

गंगा के खड़े किनारे, भगवान् मांग रहे नैया (Ganga Ke Khade Kinare Bhagwan Mang Rahe Naiya)

गंगा के खड़े किनारे
भगवान् मांग रहे नैया

श्री राम आएंगे (Shri Ram Aayenge)

श्री राम आएंगे श्री राम आएंगे
पलकें बिछाएंगे,

गजानन आये मेरे द्वार(Gajanan Aaye Mere Dwar )

गजानन आए मेरे द्वार॥
श्लोक – वक्रतुंड महाकाय,