धनतेरस के दिन क्यों खरीदे जाते हैं बर्तन, जानें क्या है पौराणिक रहस्य
धनतेरस पर किसी चीज को खरीदने का खास महत्व होता है। धनतेरस के दिन माता लक्ष्मी जी और कुबेर जी के साथ भगवान धन्वंतरि जी की पूजा की जाती है। उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन खरीदी गई चल-अचल संपत्ति में वृद्धि होती है। अधिकतर लोग इस दिन बर्तन खरीदते हैं। वैसे तो सोना-चांदी का अपना महत्व है। क्योंकि ये कीमती और समृद्धि के प्रतीक हैं। हालांकि सब लोग सोना, चांदी या अन्य आभूषण नहीं ले सकते हैं। ऐसे में पीतल, तांबे, स्टील के बर्तन भी खरीदना भी हमारी परंपरा का एक हिस्सा है।
धनतेरस पर इन धातुओं के बर्तन खरीदने से घर में सुख-समृद्धि आती है। लेकिन हर धातु के बर्तन का अपना एक महत्त्व है। चांदी के बर्तन शीतलता प्रदान करने वाले होते हैं। तांबे के बर्तन में रखा गया पानी पेट रोगों के लिए लाभदायक होता है। तांबे और पीतल के बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है, जो रसोई और घर में प्रचुरता और समृद्धि का प्रतीक हैं।
धनतेरस पर बर्तन खरीदना क्यों शुभ है
पौराणिक कथा एवं शास्त्रों के अनुसार जब देवताओं और दानवों ने अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया था। तब माता लक्ष्मी जी की तरह भगवान धन्वंतरि जी भी समुद्र मंथन के दौरान उत्पन्न हुए थे। भगवान धन्वंतरि जब प्रकट हुए तब उनके हाथ में अमृत कलश था। इस दिन खरीदा गया कोई आभूषण या बर्तन शुभ होता है। यह सुनिश्चित करता है कि दीपावली पर खरीदे गए वस्तु सौभाग्य और समृद्धि लाते हैं।
इस दिन भगवान धन्वंतरि जी और माता लक्ष्मी जी की पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। धनतेरस कार्तिक माह में कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। यह दिन शुभ होता है। इस दिन लोग सोने और चांदी के आभूषण खरीदते हैं या बर्तन खरीदते हैं। यह माता लक्ष्मी को अपने घर में लाने एवं उनका स्वागत करने का एक अनोखा तरीका है, जिससे की घर में सुख और समृद्धि रहे।