नवीनतम लेख

घर पर कैसे करें पितरों की पूजा

Pitru Paksha Puja Vidhi: घर पर ही करें पितृ पक्ष की पूजा, जानिए श्राद्ध के सरल और सही विधि 


आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में मनाए जाने वाले श्राद्ध को पितृ पक्ष कहते हैं। इस दौरान पूर्वजों का श्राद्ध उनकी तिथि के अनुसार श्रद्धा भाव से विधि-विधानपूर्वक किया जाता है। गरुड़ पुराण में पितृ पक्ष के महत्व का विस्तार से उल्लेख है, जिसके अनुसार इस दौरान पितर धरती पर आते हैं। इस समय पिंडदान और तर्पण करना शुभ माना जाता है। पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइए जानते हैं श्राद्ध विधि, तर्पण के नियम और मंत्र।


पितृ पक्ष में रखें इन बातों का विशेष ध्यान:


  • सुबह उठकर स्नान करें और देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर गंगाजल से शुद्ध करें।
  • घर के आंगन में रंगोली बनाएं।
  • महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं।
  • ब्राह्मण से पितरों की पूजा एवं तर्पण आदि कराएं।
  • पितरों के निमित्त अग्नि में गाय का दूध, दही, घी एवं खीर अर्पित करें।
  • ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र और दक्षिणा देकर सम्मान करें।
  • पितृ पक्ष में रोज़ाना गीता का पाठ करें और ध्यान रखें कि श्राद्ध कर्म के लिए किसी से कर्ज न लें।
  • घर के वरिष्ठ पुरुष को ही नित्य तर्पण करना चाहिए। यदि वह उपलब्ध न हो, तो पौत्र या नाती भी तर्पण कर सकते हैं।
  • श्राद्ध कर्म का कार्य दोपहर के समय करना उत्तम माना जाता है।
  • एकांत स्थान में मध्याह्न समय पर सूर्य की ओर दोनों हाथ उठाकर अपने पूर्वजों और सूर्य देव से प्रार्थना करें।
  • गाय को भरपेट घास खिलाने से भी पितृ प्रसन्न होते हैं।
  • ब्राह्मण को भोजन कराते समय और भोजन परोसते समय मौन रहना चाहिए, क्योंकि जब तक ब्राह्मण मौन रहता है, तब तक पितर भोजन ग्रहण करते हैं।
  • जो श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करता है, उसे बुद्धि, स्मरणशक्ति, पुत्र-पौत्रादि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।


इन मंत्रों का करें जप:


  • ॐ पितृ देवतायै नमः।
  • ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
  • ॐ देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः।
  • गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम।
  • ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा, तेरी महिमा भारी है(Riddhi Siddhi Wale Ganpati Baba Teri Mahima Bhari Hai)

रिद्धि सिद्धि वाले गणपति बाबा,
तेरी महिमा भारी है,

श्री शनिवार व्रत कथा

एक समय समस्त प्राणियों का हित चाहने वाले मुनियों ने नैमिषारण्य बन में एक सभा की उस समय व्यास जी के शिष्य सूत जी शिष्यों के साथ श्रीहरि का स्मरण करते हुए वहाँ पर आये।

देवी दुर्गा की 10 महाविद्या की साधना

हिंदू वैदिक पंचाग के अनुसार, 30 जनवरी 2025 से माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होने जा रही है। हिंदू धर्म में हर साल 4 नवरात्रि मनाई जाती है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ माह की गुप्त नवरात्रि अंतिम नवरात्रि होती है।

विद्यारंभ संस्कार पूजा विधि

हिंदू संस्कृति में मनुष्य के जीवन के अलग अलग पड़ावों को संस्कारों के साथ पवित्र बनाया जाता है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है विद्यारंभ संस्कार । यह संस्कार बच्चों के जीवन में शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है।