नवीनतम लेख

बिल्वाष्टकम् (Bilvashtakam)

image
Your browser does not support the audio element.

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं,

त्रिजन्मपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥1॥


त्रिशाखैर्बिल्वपत्रैश्च ह्यच्छिद्रैः कोमलै: शुभैः,

शिवपूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥2॥


अखण्ड बिल्वपत्रेण पूजिते नन्दिकेश्वरे,

शुद्ध्यन्ति सर्वपापेभ्यः एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥3॥


शालिग्राम शिलामेकां विप्राणां जातु अर्पयेत ,

सोमयज्ञ महापुण्यं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥4॥


दन्तिकोटि सहस्राणि वाजपेयशतानि च,

कोटिकन्या महादानं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥5॥


लक्ष्म्याः स्तनोत्पन्नं महादेवस्य च प्रियं,

बिल्ववृक्षं प्रयच्छामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥6॥


दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनं,

अघोरपापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥7॥


मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे,

अग्रतः शिवरूपाय एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥8॥


बिल्वाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ,

सर्वपापविनिर्मुक्तः शिवलोकमवाप्नुयात्,


इतिश्री बिल्वाष्टकं सम्पूर्णम्

मत बरसो इन्दर राज (Mat Barso Inder Raj)

अजी मत बरसो इन्दर राज,
या जग सेठाणी भीजे,

फाल्गुन माह प्रदोष व्रत उपाय

फाल्गुन मास में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। फाल्गुन मास में प्रदोष व्रत रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।

अन्वाधान के दिन किसकी पूजा होती है

भारत में अन्वाधान का अपना एक अलग स्थान है। अन्वाधान कृषि चक्र और आध्यात्मिक उन्नति से जुड़ा पर्व है। इन्हें जीवन को पोषित करने वाली दिव्य शक्तियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु मनाया जाता है।

12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व जानिए

शिव पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, एक समय भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी के बीच यह विवाद छिड़ गया कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। इस विवाद को शांत करने के लिए भगवान शिव ने एक अनंत प्रकाश स्तंभ ज्योति का रूप धारण किया।