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श्री हरि स्तोत्रम् (Sri Hari Stotram)

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

नभोनीलकायं दुरावारमायंसुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं॥1॥


सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासंजगत्सन्निवासं शतादित्यभासं

गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रंहसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं॥2॥


रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारंजलान्तर्विहारं धराभारहारं

चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपंध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं॥3॥


जराजन्महीनं परानन्दपीनंसमाधानलीनं सदैवानवीनं जगज्जन्महेतुं

सुरानीककेतुंत्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं॥4॥


कृताम्नायगानं खगाधीशयानंविमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं

स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलंनिरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं॥5॥


समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशंजगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं सदा

दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहंसुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं॥6॥


सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठंगुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं सदा

युद्धधीरं महावीरवीरंमहाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं॥7॥


रमावामभागं तलानग्रनागंकृताधीनयागं गतारागरागं मुनीन्द्रैः

सुगीतं सुरैः संपरीतंगुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं॥8॥


॥ फलश्रुति ॥ इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तंपठेदष्टकं

कण्ठहारम् मुरारे: स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकंजराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो॥9॥

हरियाली तीज: शिव-पार्वती से सीखें रिश्ते सहेजना

शिव और पार्वती की प्रेम कहानी एक अनोखी और प्यारी कहानी है, जो हमें रिश्तों के मायने सिखाती है। यह कहानी हमें बताती है कि प्यार और सम्मान से भरे रिश्ते को कैसे बनाए रखा जा सकता है। हरियाली तीज का पर्व शिव और पार्वती के प्रेम की याद दिलाता है।

जबलपुर में काली विराजी है(Jabalpur Mein Kali Viraji Hai)

जबलपुर में काली विराजी है,
तरसे मोरी अंखियां,

चैत्र प्रदोष व्रत की तिथियां और मुहूर्त

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत महादेव और माता पार्वती को समर्पित है।

प्रदोष व्रत पर क्या करें या न करें

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक महीने में दो बार, त्रयोदशी तिथि को (स्नान, दिन और रात के समय के अनुसार) किया जाता है, एक बार शुक्ल पक्ष में और दूसरी बार कृष्ण पक्ष में।