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माँ सरस्वती! मुझको नवल उत्थान दो (Mujhko Naval Utthan Do, Maa Saraswati Vardan Do)

मुझको नवल उत्थान दो ।

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

माँ शारदे! हंसासिनी,

वागीश! वीणावादिनी । ..x2

मुझको अगम स्वर-ज्ञान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

मुझको नवल उत्थान दो।


निष्काम हो मनोकामना,

मेरी सफल हो साधना । ..x2

नव गति, नई लय तान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


हो सत्य जीवन-सारथी,

तेरी करूँ नित आरती । ..x2

समृद्धि, सुख, सम्मान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


मन, बुद्धि, हृदय पवित्र हो,

मेरा महान चरित्र हो । ..x2

विद्या, विनय, बल दान दो । ..x2

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥


सौ वर्ष तक जीते रहें,

सुख-अमिय हम पीते रहें । ..x2

निज चरण में सुस्थान दो । ..x2


माँ सरस्वती! वरदान दो ।

मुझको नवल उत्थान दो ॥


यह विश्व ही परिवार हो,

सबके लिए सम प्यार हो । ..x2

आदेश लक्ष्य महान दो । ..x2

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥


मुझको नवल उत्थान दो ।

माँ सरस्वती! वरदान दो ॥

कैसे दर आऊं, मैं तेरे दरश पाने को (Kaise Dar Aau Main Tere Darash Pane Ko)

कैसे दर आऊं,
मैं तेरे दरश पाने को,

करवा चौथ व्रत-कथा की कहानी (Karva Chauth Vrat-katha Ki Kahani)

अतीत प्राचीन काल की बात है। एक बार पाण्डु पुत्र अर्जुन तब करने के लिए नीलगिरि पर्वत पर चले गए थे।

श्री शीतलनाथ चालीसा (Shri Sheetalnath Chalisa)

शीतल हैं शीतल वचन, चन्दन से अधिकाय ।
कल्प वृक्ष सम प्रभु चरण, हैं सबको सुखकाय ।।

बड़े बलशाली है, बाबा बजरंग बली(Bade Balshali Hai Baba Bajrangbali)

जड़ से पहाड़ों को,
डाले उखाड़,