नवीनतम लेख

नई पुस्तक शुभारंभ पूजा विधि

Book Puja Vidhi: नई पुस्तक के विमोचन पर पूजा करने से मिलेगी सफलता, जानें पूजा विधि और लाभ


नई पुस्तक का विमोचन किसी लेखक के लिए एक बेहद खास अवसर होता है। यह न केवल उसकी विद्या और ज्ञान का प्रतीक होता है, बल्कि उसकी मेहनत और समर्पण की भी पहचान होती है।


भारतीय परंपरा में किसी भी शुभ कार्य को प्रारंभ करने से पहले पूजा-पाठ और देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेना आवश्यक माना जाता है। इसी प्रकार, किसी पुस्तक का विमोचन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक प्रक्रिया भी होती है।


इस पूजा में ज्ञान के देवता भगवान सरस्वती और प्रथम पूज्य गणपति का आह्वान किया जाता है। इससे लेखक और प्रकाशक को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है, जो उन्हें पुस्तक के प्रचार और प्रसार में सहायता करती है। चलिए, आपको नई पुस्तक के शुभारंभ के समय होने वाली पूजा विधि और इसके लाभों के बारे में विस्तार से बताते हैं।



नई पुस्तक शुभारंभ पूजा का महत्व


  • पूजा के माध्यम से नई पुस्तक को किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा से बचाया जाता है।
  • पूजा लेखक और प्रकाशक के लिए आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान करती है।
  • यह पूजा एक नई शुरुआत का प्रतीक होती है, जो लेखक को अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।



पुस्तक शुभारंभ की पूजा विधि


1.शुद्धिकरण एवं स्थापना:

  •  पूजा से पहले पुस्तक और पूजन स्थल का गंगाजल छिड़ककर शुद्धिकरण करें।
  •  पुस्तक को एक स्वच्छ लाल या पीले वस्त्र पर रखें।


2.गणपति एवं सरस्वती पूजन:

  •  सबसे पहले भगवान गणेश का आह्वान कर उनकी आराधना करें।
  • इसके बाद ज्ञान और विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा करें।


3.दीप-धूप एवं मंत्रोच्चार:

  • पुस्तक के चारों ओर घी का दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
  • "ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः" मंत्र का जाप करें।


4.तिलक एवं अक्षत अर्पण:

  • नई पुस्तक पर हल्दी, कुमकुम और अक्षत (चावल) का तिलक लगाएं।
  • शुभता के प्रतीक स्वरूप नारियल और मिठाई अर्पित करें।


5.आरती करें:

  • पूजा के अंत में भगवान की आरती करें और सभी को प्रसाद वितरित करें।



नई पुस्तक शुभारंभ पूजा के लाभ


  • सफलता: पूजा के कारण पुस्तक की लोकप्रियता बढ़ती है और यह अधिक पाठकों तक पहुँचती है।
  • सकारात्मक ऊर्जा: पूजा के माध्यम से लेखक को मानसिक शांति और संतुष्टि मिलती है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • साहित्यिक समृद्धि: यह पूजा लेखक को और बेहतर लिखने की प्रेरणा देती है और उसके लेखन कार्य को नकारात्मक प्रभावों से बचाती है।
बोल कन्हैया बोल (Bol Kanhaiya Bol)

वा रे लाला नन्द का,
तूने जनम चराई ढोर,

आजा माँ आजा माँ एक बार, मेरे घर आजा माँ (Aaja Maa Aaja Maa Ek Baar Mere Ghar Aaja Maa )

आजा माँ आजा माँ एक बार,
मेरे घर आजा माँ,

किसी के काम जो आये, उसे इन्सान कहते हैं (Kisi Ke Kam Jo Aaye Use Insan Kahte Hai)

किसी के काम जो आये,
उसे इन्सान कहते हैं ।

माँ दुर्गे आशीष दो (Maa Durge Ashish Do)

माँ दुर्गे आशीष दो माँ दुर्गे आशीष दो
मन मे मेरे वास हो तेरा चरणो संग प्रीत हो ॥