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दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी(De Do Anguthi Mere Prano Se Pyari)

दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


मात भी छोड़े, मैंने पिता भी छोड़े

छोड़ी जनकपुरी, छोड़ी जनकपुरी,

मेरे बाबुल की, बाबुल की


दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


संग भी छोड़ा, मैंने साथ भी छोड़ा

छोड़ी संग सहेली, छोड़ी संग सहेली

मेरे बचपन की, बचपन की


दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


सास भी छोड़े मैंने सुसर भी छोड़े

छोड़ी अवधपुरी, छोड़ी अवधपुरी,

मेरे ससुरा की, ससुरा की


दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


राम भी छोड़े मैंने लक्ष्मण भी छोड़े

छोड़ी पंचवटी, छोड़ी पंचवटी

मेरे रघुवर की, रघुवर की


दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


इतने मे हनुमत बोले सीता से,

इतने मे हनुमत बोले सीता से,

इसे मैं लेके आया, इसे मैं लेके आया


दे दो अंगूठी मेरे प्राणों से प्यारी

इसे लाया है कौन, इसे लाया है कौन

मेरे रघुवर की, रघुबर की


दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को क्या भोग लगाएं

हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत अत्यंत शुभ माना गया है। यह पर्व हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत के साथ उन्हें विशेष भोग अर्पित करने का विधान है।

भक्तों के घर कभी, आजा शेरावाली (Bhakton Ke Ghar Kabhi Aaja Sherawali)

भक्तों के घर कभी,
आजा शेरावाली,

नए वाहन की पूजा विधि

भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है। इसी कारण, किसी भी नए कार्य की शुरुआत भगवान की आराधना के साथ की जाती है। ऐसी ही एक महत्वपूर्ण परंपरा वाहन पूजा है।

भजमन राम चरण सुखदाई (Bhajman Ram Charan Sukhdayi)

भजमन राम चरण सुखदाई,
भजमन राम चरण सुखदाई ॥