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नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी (Nit Mahima Mai Gaun Maiya Teri)

नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी ॥


और क्या माँगू मैं तुमसे माता,

बस धूल चरण की चाहूँ,

पल पल याद करूँ मैं तुमको,

मैं हिरे रतन ना चाहूँ,

अब तक तेरा प्यार मिला है,

माँ हर मांग मिली मेरे मन की,

आगे भी तू रखना दया माँ,

तू मालिक है त्रिभुवन की,

नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए,

सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी,

नित महिमा मैं गाउँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए ॥


तेरा नाम ही तो मेरा माँ सहारा है,

सिवा तेरे मैया कोण हमारा है,

तेरे द्वार की मिले दरबानी,

मुझे ना कुछ और चाहिए,

नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए ॥


बस प्यार मिले हमको तुम्हारा माँ,

छूटे शर्मा से ना तेरा द्वारा माँ,

तेरे चरणों में बीते जिंदगानी,

मुझे ना कुछ और चाहिए,

नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए ॥


सदा ज्योत जगाऊँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए,

नित महिमा मै गाउँ मैया तेरी,

मुझे ना कुछ और चाहिए ॥

मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा (Mere Ghar Aaya Raja Ram Ji Ka Pyara)

आज के दिवस की मैं जाऊं बलिहारा,
मेरे घर आया राजा राम जी का प्यारा,

ब्रह्मन्! स्वराष्ट्र में हों, द्विज ब्रह्म तेजधारी (Brahman Swarastra Mein Hon)

वैदिक काल से राष्ट्र या देश के लिए गाई जाने वाली राष्ट्रोत्थान प्रार्थना है। इस काव्य को वैदिक राष्ट्रगान भी कहा जा सकता है। आज भी यह प्रार्थना भारत के विभिन्न गुरुकुलों व स्कूल मे गाई जाती है।

प्रदोष व्रत की कथा (Pradosh Vrat Ki Katha )

प्राचीनकाल में एक गरीब पुजारी हुआ करता था। उस पुजारी की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी अपने भरण-पोषण के लिए पुत्र को साथ लेकर भीख मांगती हुई शाम तक घर वापस आती थी।

जानकी जयंती पर चौपाइयों का पाठ

जानकी जी के विभिन्न नामों में सीता, मैथिली और सिया प्रमुख हैं। जानकी जयंती के अवसर पर रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। यहां कुछ चौपाइयां दी गई हैं जो राम भक्ति से परिपूर्ण हैं।

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