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आरती प्रियाकांत जू की (Aarti Priyakant Ju Ki)

आरती प्रियाकांत जु की,

 आरती प्रियाकांत जु की , सुखाकर भक्त वृन्द हु की |

जगत में कीर्तिमयी माला , सुखी सुन सूजन गोपी ग्वाला | करो मत देर , दास रहे टेर , प्रभाकर मृतक भाव हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||1||

दरस ते बुझै द्रोह ज्वाला , जपे जन जुगल नाम माला | सखी सब संग , बन्ध भव भंग , दयानिधि नंद लाल हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||2||

मनोहर यमुना सुचि रेणु , वंशीवट बजत सौम्य वेणु | भृंग पिक वृन्द , ध्वनि अति मंद , सुधाकर भक्ति ज्ञान हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||3||

प्रभामय धाम शान्ति सेवा , भगत जन तरस रहे देवा | युगल छवि देख , मिटे दुःख रेख , भयापहः नेत्र दांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||4||

कमल मह राजत युग शोभा , निम्ब प्रभु हनुमत गण देवा | रहे सुख पाये , चरण चित लाय , देवकी नंद कांत हू की || सुखाकर भक्त वृन्द हू की… आरती प्रियाकांत जु की ||5|| 

आरती प्रियाकांत जु की । सुखाकर भक्त वृन्द हू की ||


भगवान प्रियाकांतजु की जय


जया एकादशी की कथा

सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है। माघ मास की जया एकादशी जल्द ही आने वाली है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को विष्णु जी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।

मैया री एक भाई दे दे (Maiya Ri Ek Bhai Dede)

मैया री एक भाई दे दे दे दे,
ना तो मैं मर जांगी,

जय महेश जय महादेवा (Jay Mahesh Jay Mahadeva)

तेरे दर पे आ तो गया हूँ,
राह दिखा दे मुझको काबिल कर दे,