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मैया री एक भाई दे दे (Maiya Ri Ek Bhai Dede)

मैया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मेरे दर्द की दवाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥

मेरी क्या है खता,


नहीं मुझको पता,

भाई क्यों नहीं मेरे,

मैया ये तो बता,

बस मुझको ये सफाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


मेरे होता जो वीर,

ना बरसता ये नीर,

ऐसी खोटी लिखी है,

क्यों मेरी तकदीर,

राखी को एक कलाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


भाई बिन कैसा प्यार,

कैसा राखी का त्यौहार,

कहे ‘सिंहपुरिया’ मेरी भी,

सुन लो पुकार,

बहना को एक सहाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥


मैया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मेरे दर्द की दवाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी,

मईया री एक भाई दे दे दे दे,

ना तो मैं मर जांगी ॥

पत राखो गौरी के लाल, हम तेरी शरण आये (Pat Rakho Gauri Ke Lal Hum Teri Sharan Aaye)

पत राखो गौरी के लाल,
हम तेरी शरण आये ॥

कलावा उतारने के नियम

सनातन धर्म में कलावा बांधने का काफ़ी महत्व है। इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है।

दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।