जगदाती पहाड़ों वाली माँ,
मेरी बिगड़ी बनाने आ जाओ,
मैया आरासुरी करजो आशा पूरी म्हारी अम्बे,
हूँ तो विनती करूँ जगदम्बे,
बाबा बैद्यनाथ हम आयल छी भिखरिया,
अहाँ के दुअरिया ना,
उज्जैन में हर साल वैकुंठ चर्तुदशी पर एक अनोखा दृश्य देखने को मिलता है जब भगवान शिव जिन्हें बाबा महाकाल के रूप में पूजा जाता है।