नवीनतम लेख

गुरु प्रदोष व्रत से होंगे ये लाभ

Guru Pradosh Vrat 2024: जानिए गुरु प्रदोष व्रत करने के लाभ और इसकी विधि


गुरु प्रदोष व्रत को भगवान शिव की पूजा और विशेष रूप से बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह व्रत व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक कष्टों का निवारण करता है और शत्रु पर विजय, सुख, समृद्धि, पद-प्रतिष्ठा और धन की वृद्धि भी करता है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करके व्रति अपने जीवन में हर प्रकार की सफलता और समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। तो आइए इस आलेख में गुरु प्रदोष व्रत के लाभ और इसकी विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

आने वाली समस्या का भी होता है अंत


गुरु प्रदोष व्रत की मान्यता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं और संकटों का नाश होता है। इसके साथ ही यह व्रत पापों का नाश करता है और व्यक्ति को धार्मिक, मानसिक और भौतिक शांति प्रदान करता है।

गुरु प्रदोष व्रत की पौराणिक कथा


एक समय देवताओं और दैत्यों के बीच घमासान युद्ध चल रहा था। जिसमें, देवताओं को दैत्य राजा वृत्तासुर ने पराजित कर दिया था। वृत्तासुर की ताकत और आसुरी माया के कारण देवता बहुत भयभीत हो गए थे। इसी बीच, देवता बृहस्पति देव के पास पहुंचे और उनसे सहायता मांगी। बृहस्पति देव ने बताया कि वृत्तासुर एक महान तपस्वी था और उसने कैलाश पर्वत पर भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। दरअसल, वह चित्ररथ नामक एक प्रतापी राजा था। पर उसके द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती का उपहास उड़ा दिया गया था। माता पार्वती के क्रोध के कारण चित्ररथ को राक्षस योनि प्राप्त हुई और वह वृत्तासुर के रूप में जन्मा। बृहस्पति देव ने देवताओं से कहा कि वे गुरु प्रदोष व्रत रखें और भगवान शिव की पूजा करें, ताकि भगवान शिव की कृपा से वे वृत्तासुर पर विजय प्राप्त कर सकें। तब इंद्रदेव ने बृहस्पति देव की सलाह मानी और गुरु प्रदोष व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से इंद्रदेव ने वृत्तासुर को हराया और देव लोक में शांति बहाल हो गई। यही कारण है कि गुरु प्रदोष व्रत को शत्रु-विनाशक और कष्टों के निवारण वाला दिव्य व्रत माना जाता है।

गुरु प्रदोष व्रत के लाभ


गुरु प्रदोष व्रत करने से कई प्रकार के लाभ होते हैं। इस व्रत को करने और इसकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। आइए जानें, गुरु प्रदोष व्रत के प्रमुख लाभ:

  • शत्रु विनाशक है व्रत: गुरु प्रदोष व्रत शत्रुओं से रक्षा करने और उनके प्रभाव से मुक्ति पाने का व्रत है। यह मानसिक और शारीरिक बाधाओं से बचाता है।
  • प्राप्त होती है सुख और समृद्धि: इस व्रत को करने से जीवन में सुख, ऐश्वर्य और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही यह जीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाता है।
  • पापों का होता है नाश: गुरु प्रदोष व्रत सभी प्रकार के पापों का नाश करता है और व्यक्ति को पवित्र करता है।
  • भाग्य में होती है वृद्धि: इस व्रत से व्यक्ति का भाग्य जागृत होता है और उसे जीवन में सफलता मिलती है।
  • शांति और स्वास्थ्य: यह व्रत मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • पितरों का आशीर्वाद: गुरु प्रदोष व्रत से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
  • बृहस्पति ग्रह की कृपा: इस व्रत को करने से बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव से जीवन में विजय और सफलता मिलती है।

गुरु प्रदोष व्रत की विधि


गुरु प्रदोष व्रत को हर माह के प्रदोष काल यानी त्रयोदशी तिथि में किया जाता है। विशेष रूप से जब वह तिथि गुरुवार के दिन ही पड़ती है। इस दिन व्रति को उपवास रखना चाहिए और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। पूजा में विशेष रूप से बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए और उन्हें पीले रंग का वस्त्र, चने की दाल, केसर, हल्दी, और पंखा चढ़ाना चाहिए। इस दिन फलाहार किया जा सकता है और कच्ची सब्जियों का सेवन करना चाहिए। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा के साथ साथ बृहस्पति देव के मंत्रों का जाप करना चाहिए और बृहस्पति से असीम आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

श्री शीतला माता चालीसा (Shri Shitala Mata Chalisa)

जय जय माता शीतला, तुमहिं धरै जो ध्यान ।
होय विमल शीतल हृदय, विकसै बुद्धी बल ज्ञान ॥

आरती भगवान गिरिधारी जी की ( Aarti Bhagwan Giridhari Ji Ki)

जय श्री कृष्ण हरे, प्रभु जय जय गिरधारी।
दानव-दल बलिहारी, गो-द्विज हित कारी॥

मैं तो तेरी हो गई श्याम: भजन (Me Too Teri Hogai Shayam, Dunyan Kya Jane)

मैं तो तेरी हो गई श्याम,
दुनिया क्या जाने,

हमने ब्रज के ग्वाले से, अपना दिल लगाया है(Humne Braj Ke Gwale Se Apna Dil Lagaya Hai )

हमने ब्रज के ग्वाले से
अपना दिल लगाया है,

यह भी जाने