नवीनतम लेख

कलावा उतारने के नियम

Kalava Utarne Ke Niyam: नया साल शुरू होने से पहले इस दिन उतारे अपना कलावा, जानें इसके यम-नियम और लाभ


सनातन धर्म में कलावा बांधने का काफ़ी महत्व है। इसे रक्षा सूत्र के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल, हाथ पर कलावा बांधने की शुरुआत माता लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। ऐसी मान्यता है कि इसको बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और इंसान को ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हालांकि, इसे बांधते और उतारते समय कुछ नियम का पालन जरूरी है। ऐसा नहीं करने से कई तरह की समस्या आ सकती है।  अगर आप नए साल से पहले कलावा को उतारना चाहते हैं तो इसके नियम आपको भी जान लेने चाहिए। 


कैसे हुई कलावा बांधने की शुरुआत?


पौराणिक कथा के अनुसार पूजा-पाठ के दौरान हाथ में कलावा बांधने की शुरुआत धन की देवी मां लक्ष्मी से जुड़ी हुई है। इसकी शुरुआत मां लक्ष्मी और राजा बलि द्वारा की गई थी। माता लक्ष्मी ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु के प्राणों की रक्षा हेतु राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधा था। माना जाता है कि तभी से कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत हुई। 


जानिए कब उतार सकते हैं कलावा?


अगर आप नए वर्ष से पहले कलावा को उतारना चाहते हैं तो इसके लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ  है। हालांकि, ध्यान देने वाली बात ये है कि कलावा को उतारने के बाद इसे इधर-उधर नहीं फेकें। बल्कि, इसे किसी पवित्र नदी या जल में विसर्जित कर दें। अगर ऐसा संभव नहीं है, तो आप अपने कलावा को पीपल के पेड़ के नीचे भी रख सकते हैं। 


जानिए कलावा बांधने के नियम  


  • विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा को बांधना उत्तम माना जाता है। वहीं, पुरुषों और अविवाहित लड़कियों को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए।
  • खाली हाथ कलावा भूलकर भी नहीं बंधवाना चाहिए। कलावा बंधवाते वक्त आप अपने हाथ में चावल या सिक्का रख सकते हैं। कलावा बंधवाने के बाद पुजारी को दक्षिणा जरूर देना चाहिए।
  • कलावा बांधते समय 'येन बद्धो बली राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वां मनु बध्नामि, रक्षे माचल माचल' मंत्र का जप करना चाहिए।


क्या हैं कलावा बांधने के लाभ? 


  • कलावा बांधने से इंसान के पास नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती है।
  • इसके साथ ही जीवन की आर्थिक समस्या भी जल्दी समाप्त हो जाती है।
  • इसके साथ ही भगवान ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश का आशार्वाद भी प्राप्त होता है और नजर दोष का भी असर नहीं होता है।
  • इसके अलावा जीवन में आने सभी प्रकार के दुख और संकट भी कलावा बांधने से दूर हो जाते हैं।
सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को (Suraj Ki Garmi Se Jalte Hue Tan Ko)

जैसे सूरज की गर्मी से जलते हुए तन को मिल जाये तरुवर की छाया,
ऐसा ही सुख मेरे मन को मिला है, मैं जब से शरण तेरी आया। मेरे राम ॥

उज्जैन में विराजे, महाकाल प्यारे प्यारे (Ujjain Mein Viraje Mahakal Pyaare Pyaare)

उज्जैन में विराजे,
महाकाल प्यारे प्यारे,

एकादशी व्रत फरवरी 2025

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे (Vridavan Dham Apaar Jape Ja Radhe Radhe)

वृन्दावन धाम अपार,
जपे जा राधे राधे,

यह भी जाने