नवीनतम लेख

नरसिंह द्वादशी 2025 तिथि और महत्व

Narasimha Dwadashi 2025: होलिका दहन से पहले मनाई जाने वाली नरसिंह द्वादशी कब है, जानें इसका महत्व 



फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के दिन नरसिंह द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन विष्णु जी के अवतार भगवान नरसिंह भगवान की पूजा करने की परंपरा है। यह एक ऐसा अवतार था जिसमें श्रीहरि के शरीर आधा हिस्सा मानव का और आधा हिस्सा शेर का था। नरसिंह द्वादशी होली से 3 दिन पहले मनाई जाती है। आइए जानते हैं नरसिंह द्वादशी 2025 की डेट, पूजा मुहूर्त और क्या है इस दिन का विशेष महत्व


नरसिंह द्वादशी कब है?



शास्त्रों के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन ही भगवान विष्णु 'नरसिंह स्वरूप' में अवतरित हुए थे। अतः हर वर्ष होली से लगभग 3-4 दिन पहले द्वादशी तिथि पर 'नरसिंह द्वादशी' मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 10 मार्च 2025, फाल्गुन, शुक्ल द्वादशी को पड़ रहा है।


नरसिंह द्वादशी का महत्व



विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान श्री हरि का नरसिंह अवतार उनके दशावतारों में से चौथा स्वरूप माना गया है। ऐसी मान्यता है कि फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को अपने परम भक्त प्रह्लाद की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु एक खंभे को चीरते हुए प्रकट हुए थे। उनका आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर शेर का था। इसी कारण भगवान के इस अवतार को 'नरसिंह अवतार' कहा जाता है।

इसके साथ ही भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद से कहा था- जो मनुष्य 'नरसिंह द्वादशी' पर मेरे इस नरसिंह अवतार का स्मरण करते हुए पवित्र मन से पूजा व व्रत करेगा, उसे जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिलेगी और समस्त मनोकामनाएं पूरी होंगी।


नरसिंह द्वादशी के लाभ



  • जो जातक नरसिंह द्वादशी का व्रत करते हैं, उन्हें जीवन में सांसारिक सुख मिलता है, और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • नरसिंह द्वादशी के दिन आस्थापूर्वक भगवान नरसिंह का स्मरण करने वाले भक्त को अपार धन-संपत्ति मिलती है।
  • नरसिंह द्वादशी का व्रत और विधिवत् पूजन करने से ब्रह्महत्या जैसा महापाप भी मिट जाता है।
  • ऐसी मान्यता है कि, जो जातक इस दिन नरसिंह देव के मंत्र का जाप करते हैं, उनके समस्त दुखों निवारण होता है।
  • नरसिंह द्वादशी पर सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों की भगवान नरसिंह 'प्रह्लाद' के समान रक्षा करते हैं।

हर देश में तू, हर भेष में तू - प्रार्थना (Har Desh Me Tu Har Bhesh Me Tu)

हर देश में तू, हर भेष में तू,
तेरे नाम अनेक तू एक ही है,

काशी वाले, देवघर वाले, जय शम्भू (Bhajan: Kashi Wale Devghar Wale Jai Shambu)

काशी वाले देवघर वाले, भोले डमरू धारी।
खेल तेरे हैं निराले, शिव शंकर त्रिपुरारी।

क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी (Kshama Karo Tum Mere Prabhuji)

क्षमा करो तुम मेरे प्रभुजी,
अब तक के सारे अपराध

इतनी किरपा सांवरे बनाये रखना(Itni Kirpa Sanware Banaye Rakhna)

इतनी किरपा सांवरे बनाये रखना
मरते दम तक सेवा में लगाये रखना,