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पौष माह में क्या करें और क्या नहीं

Paush Maas 2024: पौष माह में क्या करें और क्या नहीं? जानिए यम-नियम


हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का 10 वां, महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार इस साल पौष माह 16 दिसंबर से प्रारंभ हो चुकी है। इस महीने को धर्म, तप, उपवास और साधना का विशेष समय माना जाता है। पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है इसलिए इस माह में पितरों के लिए तर्पण, गंगा स्नान और दान करना बेहद ही शुभ होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, पौष माह में भागवत कथा, रामायण पाठ और सत्संग करने से व्यक्ति के सारे पाप समाप्त होते हैं। 

इस महीने उपासना का है महत्व


ऐसी मान्यता है कि पौष मास के दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। क्योंकि, इनका शुभ फल व्यक्ति को नहीं मिलता है। इसका एक कारण यह भी है कि पौष महीने में सूर्य अधिकतर धनु राशि में रहते हैं, इसलिए, इस महीने को धनुर्मास भी कहा जाता है। धनु संक्रांति से खरमास भी लग जाता है। ज्योतिष शास्त्र में खरमास को अच्छा नहीं माना जाता। बता दें कि धनु राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। अतः इस महीने में भले ही शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन गुरु की उपासना के लिए जैसे- आध्यात्मिक कार्यों, हवन, पूजा-पाठ या किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करना इस दौरान बड़ा ही शुभ फलदायी है। यह मास में चंचल मन पर विजय पाने के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।
इस महीने में ख़ासकर, भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व है। 

जानिए पौष माह में क्या करें?


  • आदित्य पुराण के अनुसार इस मास में प्रतिदिन तांबे के लोटे में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर ऊं सूर्याय नम: मंत्र का जाप करते हुए भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इससे प्राणी के सभी रोग दूर होते हैं,मान-सम्मान बढ़ता है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष के महीने में आदित्य हृदय स्तोत्र के नित्य पाठ से जीवन में अनेक कष्टों का निवारण होता है। इसके नियमित पाठ से मानसिक रोग, हृदय रोग, शत्रु भय निवारण होता है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से जीवन की तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है और हर क्षेत्र में जीत हासिल की जा सकती है।
  • पौष माह के हर रविवार को व्रत रखकर तिल, चावल की खिचड़ी और गुड़ सूर्यनारायण को अर्पित करने से व्यक्ति यशस्वी बनता है।
  • पौष माह में अमावस्या, संक्रांति, पूर्णिमा, एकादशी पर विशेषकर पितरों के निमित्त श्राद्ध करने से पितृ दोष दूर होता है व जीवन के दुःख-दर्द दूर होते है।
  • पौष माह को दान-पुण्य करने का महीना माना गया है। मान्यता है कि इस माह गरम कपड़ों, कंबल, गुड़, दाल, तांबे के बर्तन का दान करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सदैव सुख और शांति बनी रहती है।
  • पौष माह के दौरान भगवान विष्णु की पूजा बेहद फलदायी मानी गई है। ऐसे में इस पूरे महीने श्री हरि विष्णु के नामों का जाप अवश्य करना चाहिए। साथ ही मंदिर जाकर कुछ दान-पुण्य करना चाहिए। ऐसा करने से विष्णु भगवान के साथ-साथ माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

जानिए पौष माह में क्या नहीं करें? 


  • मांस-मदिरा का सेवन वर्जित: पौष माह में मांस और मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह माह धार्मिक और मानसिक शुद्धि का समय होता है।
  • इन खाद्य पदार्थों से करें परहेज: इस महीने बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूल गोभी, उड़द की दाल जैसे कुछ विशेष खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए।
  • नहीं करें चीनी का उपयोग: पौष माह में चीनी का सेवन भी वर्जित माना जाता है, ताकि शरीर और मन की शुद्धि बनी रहे और आध्यात्मिक उन्नति हो।
  • सात्विक भोजन ग्रहण करें: इस महीने सात्विक आहार का सेवन करना चाहिए। ताजे फल, सब्जियां, दूध, दही, और अन्य पौष्टिक, हल्के और शुद्ध भोजन का सेवन करना उपयुक्त होता है।
  • मांगलिक कार्य ना करें: इस माह में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश अथवा अन्य प्रकार के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। यह मास विशेष रूप से तप और साधना का समय होता है।
  • नमक का सेवन नहीं करें: इस माह में नमक का सेवन भी वर्जित माना गया है।

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