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फाल्गुन अमावस्या के उपाय

Falgun Amavasya Upay: फाल्गुन अमावस्या पर कुछ जगहों पर दीपक जलाने से पितृ दोष जल्द होगा दूर, जानें जरूरी बातें


फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।  इस दिन दीपक जलाने का भी खास महत्व होता है। फाल्गुन अमावस्या पर कुछ विशेष स्थानों पर दीपक जलाने से पितृ दोष दूर होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 2025 में फाल्गुन अमावस्या कुछ लोग 27 फरवरी , तो वहीं कुछ 28 फरवरी को मानेंगे। अगर आप भी इस दिन दीपक जलाने के बारे में सोच रहे हैं, तो चलिए उन जगहों के बारे में बताते हैं, जहां इसे जलाने से आपके मनोकामनाओं की पूर्ति होगी और पितरों का आशीर्वाद मिलेगा।


इन जगहों पर जलाए दीपक

 

1. पीपल के पेड़ 

पीपल के पेड़ को पितरों का निवास माना जाता है। फाल्गुन अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितरों को शांति मिलती है और आपको पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।


2. श्मशान में

शमशान घाट को पितरों का स्थान माना जाता है। यहां पर दीपक जलाना भी पितरों की कृपा पाने के लिए प्रभावी माना जाता है।


3. घर के मुख्य दरवाजे पर दीपक जलाएं

मुख्य द्वार पर दीप जलाने से घर में  आने वाली नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है और पितृ दोष की शांति होती है।इसके अलावा ऐसा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन में स्थिरता आती है।


4. तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं

तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।


दीपक जलाने की विधि 


  • फाल्गुन अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • इसके बाद पितरों का तर्पण करें और उन्हें जल अर्पित करें।
  • फिर, ऊपर बताए गए स्थानों पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • दीपक जलाते समय पितरों का स्मरण करें और उनसे आशीर्वाद मांगे।
  • दीपक जलाने के बाद पितरों के लिए भोजन और जल अर्पित करें।


दीपक जलाने के लाभ 


फाल्गुन अमावस्या के दिन दीपक जलाने से सुख समृद्धि आती है। पितृ दोष दूर होते है, और उनका आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा दीपक से निकलने वाली रोशनी से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। 


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