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संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी की पूजा विधि

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2024: इस विधि से करेंगे पूजा तो प्रसन्न होंगे भगवान गणेश



साल 2024 की आखिरी संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लाखों भक्त पुरे विधि-विधान से पूजा अर्चना करते हैं। माना जाता है कि इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है। और भगवान गणेश के आशीर्वाद से सभी प्रकार के कष्ट भी दूर होते हैं। पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाने वाली अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। तो आइए इस आलेख में जानते हैं इस दिन की विशेष पूजा विधि, मंत्र और इनका महत्व।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व


सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। यह पर्व पूर्णतः भगवान गणेश को समर्पित है। जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता माना जाता है। यहां ‘संकष्टी’ का अर्थ है ‘संकटों से मुक्ति प्राप्त करना’ और ‘चतुर्थी’ का अर्थ है ‘चौथा दिन’। इसलिए, इस दिन विधिपूर्वक भगवान गणेश की पूजा करने से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश का आशीर्वाद उनके भक्तों को सभी कार्यों में सफलता दिलाता है और घर में सुख-शांति बनाए रखता है।

संकष्टी चतुर्थी 2024 का शुभ मुहूर्त


पंचांग के अनुसार पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस वर्ष 18 दिसंबर को सुबह 10:06 बजे प्रारंभ होकर 19 दिसंबर को सुबह 10:02 बजे समाप्त होगी। इस दिन चतुर्थी व्रत और पूजा निशिता काल में शाम के समय की जाती है।

विशेष मुहूर्त 


  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:19 से 06:04 तक।
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 02:01 से 02:42 तक।
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:25 से 05:52 तक। 
  • अमृत काल: सुबह 06:30 से 08:07 तक। 

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि


  • स्नान और शुद्धिकरण: इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर पूजा स्थल और घर को शुद्ध करें।
  • पूजा स्थल की तैयारी: अब एक चौकी पर भगवान गणेश और शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। भगवान गणेश के माथे पर तिलक लगाएं और फूलों की माला अर्पित करें।
  • व्रत का संकल्प: अब भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
  • दीप को प्रज्वलित करें: देसी घी का दीपक जलाकर पूजा आरंभ करें। भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और उनके लिए मोदक, फल एवं अन्य मिठाई का भोग लगाएं।
  • करें आरती एवं प्रार्थना: अंत में भगवान गणेश की आरती करें। उन्हें विघ्नहर्ता के रूप में स्मरण करते हुए अपनी मनोकामनाएं प्रस्तुत करें।
  • प्रसाद वितरण: पूजा के बाद प्रसाद का वितरण करें और भक्तों के साथ खुशी साझा करें।

पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का करें जाप पूजा के दौरान निम्न मंत्रों का जाप करें। 


ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा॥
ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥

जानिए संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व


संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से सभी संकट दूर होते हैं। यह दिन उन लोगों के लिए विशेष होता है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं से जूझ रहे हैं। मान्यता है कि इस दिन विधिवत पूजा करने से। घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। कारोबार में सफलता मिलती है। कार्यों में आ रही रुकावटें समाप्त होती हैं और बुद्धि का विकास होता है एवं ज्ञान में भी वृद्धि होती है। अतः इस विशिष्ट दिन पर विधि-विधान से पूजा कर भगवान गणेश को प्रसन्न करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। 

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हिंदू धर्म में प्रत्येक दिन किसी न किसी देवता को समर्पित है। उसी प्रकार, गुरुवार का दिन देवताओं के गुरु बृहस्पति देव का दिन होता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से बृहस्पति की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

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