नवीनतम लेख

स्कन्द षष्ठी व्रत की पूजा विधि

भगवान कार्तिकेय के लिए रखा जाता है स्कंद षष्ठी का व्रत, जानिए सही पूजा विधि, मंत्र और महत्व


भगवान कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, कार्तिकेयन, स्कंद और मुरुगन जैसे नामों से जाना जाता है। वे शक्ति और विजय के देवता हैं। उनकी आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है। स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उन्हें जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है। तो आइए इस लेख में स्कन्द षष्ठी की पूजा विधि के बारे में विस्तार से जानते हैं। 


क्या है स्कंद षष्ठी व्रत?


आश्विन मास की षष्ठी तिथि का दिन भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। इसे कुमार षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य भगवान कार्तिकेय की पूजा करके उनसे विशेष आशीर्वाद प्राप्त करना है।


स्कंद षष्ठी की पूजा विधि


  1. स्नान और स्वच्छता: प्रातःकाल उठकर स्नान करें और मंदिर को साफ करें। स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।
  2. भगवान कार्तिकेय का जलाभिषेक: भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र पर गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
  3. पूजन सामग्री अर्पण: भगवान को माला, फूल, अक्षत (चावल), कलावा, सिंदूर, चंदन और नैवेद्य अर्पित करें।
  4. दीप प्रज्वलित करें: मंदिर में घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
  5. भगवान कार्तिकेय की आरती करें: पूरे मन से भगवान की आरती करें। आरती के समय भक्ति भाव बनाए रखें।
  6. भोग अर्पित करें: भगवान को अपनी श्रद्धा अनुसार भोग लगाएं। यह प्रसाद बाद में भक्तों के बीच बांटा जाता है।
  7. क्षमा प्रार्थना: पूजा के अंत में भगवान से अपनी त्रुटियों के लिए क्षमा मांगें।


स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंद षष्ठी का व्रत करने से जीवन की सभी समस्याओं का समाधान होता है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायक माना गया है जो अपने जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि की तलाश में हैं। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और विजय का देवता माना जाता है। इसलिए, यह व्रत भक्तों को कठिन परिस्थितियों में विजय प्राप्त करने की शक्ति देता है।


स्कंद षष्ठी का मंत्र


पूजा के दौरान “देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥” मंत्र का जाप करें। बता दें कि इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। यह मंत्र भगवान कार्तिकेय की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने में सहायक है।


शांति और समृद्धि का होता है आगमन


स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय की उपासना का पावन पर्व है। इस व्रत को पूरे नियम और भक्ति-भाव से करने पर भगवान कार्तिकेय अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पूजा की विधि और मंत्र का सही तरीके से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।


अम्बे रानी तेरो झूलना रे (Ambe Rani Tero Jhulna Re)

झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।
झूला झुलाये रहे वाह रे लंगूरवा।

हे संकट मोचन करते है वंदन(Hey Sankat Mochan Karte Hai Vandan)

हे संकट मोचन करते है वंदन
तुम्हरे बिना संकट कौन हरे,

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे (Bhor Bhee Din Chadh Gaya Meri Ambe)

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे
हो रही जय जय कार मंदिर विच आरती जय माँ

रावण से जुड़ी है अखुरथ संकष्टी कथा

पौष माह में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि अखुरथ संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का पूजन किया जाता है जो कि हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय देवता हैं।

यह भी जाने