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उगादि 2025 कब मनाई जाएगी

Ugadi 2025: उगादि के दिन भगवान ब्रह्मा ने किया था सृष्टि का निर्माण, जानिए इस साल कब मनाया जाएगा ये पर्व 


हिंदू पंचांग के अनुसार, उगादि पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इसे हिन्दू नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। इसलिए इसकी तिथि और मुहूर्त जानना बहुत जरूरी होता है।


उगादि 2025 तिथि और मुहूर्त


वर्ष 2025 में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को दोपहर 4 बजकर 27 मिनट से प्रारंभ होकर 30 मार्च दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगी। लेकिन हिन्दू धर्म में सभी त्योहार सूर्योदय के आधार पर मनाए जाते हैं, इसलिए उगादि पर्व इस साल 30 मार्च, 2025 को मनाया जाएगा।


उगादि का धार्मिक महत्व


पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन भगवान ब्रह्मा ने पृथ्वी का निर्माण किया था और तब से इस दिन को हिंदू नव वर्ष के तौर पर मनाया जाने लगा। उगादि, जिसे चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू नव वर्ष के स्वागत का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन को वसंत ऋतु की शुरुआत और नई ऊर्जा के संचार का प्रतीक भी माना जाता है।

इस अवसर पर लोग अपने घरों की सफाई करते हैं, रंगोली बनाते हैं और अपने घरों को सजाते हैं। पूजा और अर्चना के साथ ही वे नव वर्ष की शुरुआत का उत्सव मनाते हैं और अपने परिवार और मित्रों को शुभकामनाएं देते हैं।

उगादि पर विशेष भोजन तैयार किए जाते हैं, जिनमें 'उगादि पचड़ी' की खास मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि उगादि के अवसर पर उगादि पचड़ी खाने से नया साल शुभ होता है। इस दिन 6 प्रकार की उगादि पचड़ी बनाई जाती है और सबका अपना महत्व है:


  1. गुड़ की पचड़ी: यह खुशी और समृद्धि का प्रतीक है।
  2. इमली की पचड़ी: यह जीवन में आने वाली चुनौतियों को दर्शाता है।
  3. नीम के फूल की पचड़ी: यह दुख और संघर्षों का प्रतीक है।
  4. मिर्च की पचड़ी: यह जीवन में जोश और उत्साह का अनुभव कराता है।
  5. नमकीन पचड़ी: यह संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने का संकेत देता है।
  6. आम की पचड़ी: यह आश्चर्य और नए अनुभवों से परिचय होने का अभ्यास कराता है।


उगादि पर ये शुभ कार्य करें


  • इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते हैं।
  • अपने घर को साफ-सुथरा रखें और सुंदर तरीके से सजाएं, इससे आपके घर में धन और सकारात्मकता आती है।
  • उगादि के दिन नए साल का पहला दिन होता है, इसलिए इस दिन हिंदू पंचांग सुनना चाहिए।
  • परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिलकर पूजा-अर्चना करें और नए संकल्प लें।
  • मिठाई और फलाहार का वितरण करें और दान-पुण्य करें।

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