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सिर्फ पितृपक्ष ही नहीं गया में सालभर होतें हैं पिंडदान, जानिए क्या है यहां का महत्व
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श्राद्ध करने के बाद जरूर करें ये काम, वर्ना नहीं मिलेगा श्राद्ध का पूरा फल, जानिए क्या है नियम
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गया का प्रेतशिला पर ताली बजाकर किया जाता है पिंडदान
भारतीय परंपरा और संस्कृति में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है, जिसमें पूर्वजों को याद करके उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
पितृपक्ष को कनागत क्यों कहा जाता है? जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा
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गरुड़ पुराण से जानिए कैसे होती है मृत्यु के बाद की यात्रा
पितृपक्ष की शुरूआत 18 सितंबर से हो चुकी है, यो पर्व 2 अक्टूबर तक जारी रहेंगे। इस दौरान लोग अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण आदि करते हैं। घर-परिवार में जिन लोगों की मृत्यू हो जाती है, वो पितृ बन जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसान की मृत्यू के बाद भी उसकी राह आसान नहीं होती है।
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नवरात्रि मेंं सात चक्र की महत्ता
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