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ज्ञानगंगा

घर में रहकर इस तरह करें श्राद्ध

पितृपक्ष की शुरूआत होते ही हम अपने पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण आदि करने के लिए पवित्र नदियों के तट की तलाश में लग जाते हैं, जहां इस दौरान बहुत भीड़ देखने को मिलती है। सभी लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पवित्र घाटों पर जाकर तर्पण करते हैं।

"शनिवार के दिन चतुर्थी का शुभ संयोग, गणेश और शनिपूजा के बाद करें पितरों का श्राद्ध, चमक उठेगी किस्मत "

पितृपक्ष की शुरूआत हो चुकी है, ये 16 दिन हमारे पूर्वजों और पितरों को समर्पित होते हैं। इस दौरान किए गए श्राद्ध-तर्पण से घर-परिवार के पितर देवता तृप्त होते हैं और परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं।

मांं के सोलह श्रृंगार

क्या है मां के सौलह श्रृंगार का महत्व? जानिए हर श्रृंगार के बारे में विस्तार से

नवरात्रि में मां के भोग

नवरात्रि के नौ दिनों में मां को रोज लगाएं अलग-अलग तरह के भोग, प्रसन्न हो जाएंगी माता जगतजननी

माता की अष्ट सिद्धियां

यह होती हैं नौ दुर्गा मां की अष्ट सिद्धियां, भगवान शिव ने भी मैय्या से प्राप्त की थीं दिव्य शक्तियां

मां दुर्गा के अस्त्र-शस्त्र

मां ने अपने हाथों में क्यों धारण किए हैं अस्त्र-शस्त्र, जानिए मां के प्रत्येक अस्त्र और शस्त्र की कहानी

चैत्र से फाल्गुन तक: भारतीय संस्कृति में 12 महीनों के आहार नियम

प्राचीन भारतीय परंपराओं और आयुर्वेद में आहार का सीधा संबंध ऋतु और शरीर की ज़रूरतों से बताया गया है। भारतीय संस्कृति के अभ्यासी और भारतीय संस्कृति के जानकार पंडित डॉ. राजनाथ झा इस विषय पर बताते हैं कि हर महीने के अनुसार आहार का चयन करना न केवल शरीर के स्वास्थ्य के लिए बल्कि मानसिक संतुलन के लिए भी आवश्यक है।

गया में सूर्यास्त के बाद भी यहां होता है पिंडदान और श्राद्ध

भारत की पवित्र नगरी गया दरअसल भगवान विष्णु की पावन भूमि के रूप में जानी जाती है। गया पूरे विश्व में पिंडदान और श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है।

देवी कात्यायनी

नवरात्रि की छठी तिथि को मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। यह मां पार्वती का दूसरा नाम है। इसके अलावा मां के इस स्वरूप को उमा, गौरी, काली, हेेमावती व ईश्वरी नामों से भी जाना जाता हैं।