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नवरात्रि पर जानिए देवी दुर्गा और महिषासुर के युद्ध की कथा

Mar 22 2025

Navratri Katha: मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया, यहीं से शुरू हुई नवरात्रि मनाने की परंपरा; जानें कथा 


नवरात्रि के दिनों में हमने देखा है कि जहां भी मां दुर्गा की पूजा होती है। वहां माता की मूर्ति के साथ उस परम शक्तिशाली असुर महिषासुर की भी प्रतिमा माता के साथ होती है। बता दें कि देवी भागवत के मुताबिक मां दुर्गा और महिषासुर का युद्ध नौ दिनों तक चला, और दसवें दिन भगवान शिव प्रदत्त त्रिशुल से मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इसी वजह से ही मां दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। तो आइए जानें कि मां दुर्गा ने महिषासुर के युद्ध की कथा।


महिषासुर को ब्रह्मा जी का वरदान


सनातन धर्म में पौराणिक कथा के मुताबिक दैत्यराज महिषासुर के पिता रंभ भी एक असुर थे। बता दें कि रंभ को एक भैंस से प्रेम हो गया था, जो जल में रहती थी। जिसके स्वरूप से रंभ और भैंस के योग से ही महिषासुर का जन्म हुआ। इसी वजह से महिषासुर अपनी इच्छानुसार भैंस और इंसान का रूप धारण कर सकता था। हलांकि ऐसा कहते हैं कि महिषासुर ने कठोर तपस्या कर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया, जिसमें ब्रह्मदेव ने उसे आशीर्वाद दिया कि उस पर कोई भी देव और दानव अपनी विजय प्राप्त नहीं कर पाएगा।


महिषासुर के युद्ध की पौराणिक कथा


देवी और महिषासुर के बीच युद्ध नौ दिनों तक चला। देवी के भव्य रूप को देखकर महिषासुर भयभीत हो गया। लेकिन भय के कारण उसने अपने अस्त्र-शस्त्र नहीं त्यागे और अपने लाखों सैनिकों की सेना के साथ देवी से युद्ध करने चला गया। देवी ने महिषासुर द्वारा भेजे गए सभी राक्षसों को भी परास्त कर दिया। इसके बाद महिषासुर की बारी आई और माता ने उसे भी नहीं बख्शा और उसका भी वध कर दिया। यह नवरात्रि का आखिरी दिन था, यानि अपने अवतार के नौवें दिन देवी ने राक्षस का वध किया और तभी से चैत्र नवरात्रि का त्योहार मनाया जाने लगा।


मां दुर्गा ने लिया महिषासुर के वध हेतु जन्म


इस प्रकार महिषासुर के दुस्साहस के कारण भगवान शंकर और भगवान विष्णु बहुत क्रोधित हुए और फिर महिषासुर का नाश करने के लिए देवताओं ने देवी शक्ति को जन्म देने का विचार किया। देवताओं की एक बैठक हुई और यह निर्णय लिया गया कि सभी देवी-देवताओं के तेज से एक देवी का जन्म होगा, जो न केवल महिषासुर, बल्कि कई अन्य राक्षसों का भी नाश करेगी।

बता दें कि भगवान शंकर के तेज से देवी का मुख, भगवान विष्णु के तेज से देवी की भुजाएं, यमराज के तेज से देवी के केश, चंद्रमा के तेज से देवी के वक्ष और ब्रह्मा जी के तेज से देवी के पैर निर्मित हुए। देवी-देवताओं ने न केवल अपना तेज बल्कि अपने अस्त्र-शस्त्र भी देवी को अर्पित किए, जिनकी सहायता से देवी ने महिषासुर का वध किया।


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