नवीनतम लेख

ज्वारे और अखंड ज्योत की परंपरा

नवरात्रि में ज्वारे बोने की परंपरा और अखंड ज्योत जलाने का जानें रहस्य 


तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना ​​का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है, जिसमें यव यानी जौ की भी गणना है। मीमांसा के एक श्लोक में जौ का महत्व इस प्रकार बताया गया है कि वसन्त ऋतु में सभी फसलों के पत्ते झड़ने लगते हैं, लेकिन पौरुष शक्ति से परिपूर्ण जौ के पौधे कनिष्ट (कान) में दाने लिए खड़े रहते हैं। संस्कृत शब्द यव का उच्चारण जव हुआ और यह जौ बन गया। जौ भूमि को उपजाऊ बनाने का सर्वोत्तम साधन या उदाहरण है। जौ सृष्टि का प्रथम अन्न है। 


सृष्टि का पहला अनाज 


नवरात्रि दो ऋतुओं के संक्रमण काल ​​का नाम है। चैत्रीय नवरात्रि सर्दी और गर्मी का संक्रमण काल ​​है और आश्विन नवरात्रि गर्मी और सर्दी का संक्रमण काल ​​है। दोनों संक्रमण काल ​​में रबी और खरीफ की फसलें तैयार होती हैं। इसीलिए भूमि की गुणवत्ता जांचने और आने वाली फसल कैसी होगी यह देखने के लिए जौ उगाया जाता है। अगर भूमि में सभी अनाज एक साथ उगाए जाएं तो सबसे पहले जौ धरती से निकलेगा यानी जौ पहले अंकुरित होगा।


क्यों बोए जाते हैं जौ 


पौराणिक मान्यताओं में जौ को अन्नपूर्णा का स्वरूप माना जाता है। जौ सभी ऋषियों में सबसे प्रिय अनाज है। इसीलिए जौ से ऋषि तर्पण किया जाता है। पुराणों में कथा है कि जब जगतपिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की तो वनस्पतियों में सबसे पहले जौ उगे। इसीलिए जौ को पूर्ण शस्य यानी पूरी फसल भी कहा जाता है। यही वजह है कि नवरात्रि में देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जौ उगाया जाता है।


किसी को फसल देना शुभ और लाभकारी माना जाता है। नवरात्रि की पूजा में जौ उगाने का शास्त्रोक्त नियम है, जिससे सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। जौ को देवकार्य, पितृकार्य और सामाजिक कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है। वैदिक काल में खाने के लिए बनाए जाने वाले यवगु (लपसी) से लेकर आज राबड़ी बनाने तक, जौ का उपयोग पौष्टिक और शक्तिवर्धक माना जाता है। अगर आप नवरात्रि पर पूजा कर रहे हैं तो आपको इन सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू हो जाती है। 


अखंड ज्योत जलाने परंपरा


अखंड ज्योति जलाने के बाद दीपक को बुझने नहीं देना चाहिए ।नवरात्रि के पूरे नौ दिनों तक 24 घंटे अखंड ज्योति जलाए रखने का नियम है। अखंड ज्योति को बुझाना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने से मां दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इस दीपक को जलाए रखने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और साधक के सभी कार्य सिद्ध होते हैं। इसलिए नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को अखंड ज्योति जलाना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि में अखंड दीपक जलाने से मां दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इस दीपक को जलाए रखने से पारिवारिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और साधक के सभी कार्य सिद्ध होते हैं।


थारी जय जो पवन कुमार (Thari Jai Ho Pavan Kumar Balihari Jaun Balaji)

लाल लंगोटो हाथ मे सोटो,
थारी जय जो पवन कुमार,

कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी (Kab Tum Kripa Karogi Shri Radha Rani)

कब तुम कृपा करोगी श्री राधा रानी,
कब तुम कृपा करोगी मेरी लाड़ो प्यारी,

वट सावित्री पूर्णिमा पूजन विधि (Vat Savitri Purnima Pooja Vidhi)

ज्येष्ठमास की पूर्णिमा को किया जाने वाला व्रत

पहली बार गणगौर व्रत कैसे करें

गणगौर व्रत हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है, इसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए करती हैं।