नवीनतम लेख

मंत्र जाप का सही समय

सुबह या शाम किस समय करनी चाहिए जाप, किस माला का उपयोग रहेगा फलदायी


हिंदू धर्म में मंत्र जाप को आध्यात्मिक उन्नति का सशक्त माध्यम माना जाता है। मंत्र जाप से ना सिर्फ मानसिक शांति प्राप्त होती है। बल्कि, यह साधक को सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक शक्ति से भी परिपूर्ण कर देता है। लेकिन, मंत्र जाप तभी प्रभावी होता है, जब इसे सही समय, विधि, और नियमों से पूर्ण किया जाए। इस लेख में हम जानेंगे कि मंत्र जाप का सही समय क्या है, इसका महत्व और मंत्र सिद्धि के लिए आवश्यक उपाय क्या हैं।


क्या है मंत्र जाप का सर्वोत्तम समय? 


जाप करते समय संकल्प और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखें। यह साधना आपके जीवन को शांति और सकारात्मकता से भर देगी। शास्त्रों के अनुसार, प्रातः काल यानी सूर्योदय से पहले या ठीक सूर्योदय के समय मंत्र जाप करना अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। माना जाता है कि उषा काल का यह समय आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण होता है और साधक की एकाग्रता को कई गुणा तक बढ़ा सकता है। 


षट्कर्म और समय का संबंध


षट्कर्म मंत्र जाप के उद्देश्य के आधार पर समय का निर्धारण इस प्रकार किया गया है।

1. वशीकरण- सुबह के पहले भाग में।

2. विद्वेषण और उच्चाटन- दिन के मध्य में।

3. शांति और पुष्टि कर्म- दिन के अंतिम भाग में।

4. मारण कर्म- संध्याकाल में।

5. काम्य जप- सुख-समृद्धि और उन्नति के लिए प्रातः सूर्योदय के समय।


क्या रात को मंत्र जाप करना सही है?


चूंकि, सनातन धर्म में कोई भी पूजा सूर्योदय के पूर्व या सूर्योदय से पहले करना ही शुभ माना जाता है। इसलिए, सूर्यास्त के बाद की जाने वाली पूजा-पाठ को सही नहीं माना गया है।  मंत्र जाप की जगह आप अपने आराध्य देव का नाम जप कर सकते हैं। दरअसल,  रात को निद्रा का समय होता है और ऐसे में जब आप मंत्र जाप करते हैं तो नींद के झोंके आ सकते हैं, जो मंत्रों की दिव्यता को नष्ट कर देते हैं। इसलिए रात में मंत्र जाप नहीं करना चाहिए। 


विशेष अवसर और शुभ मुहूर्त


मंत्र जाप प्रारंभ करने के लिए गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र को सर्वोत्तम माना जाता है। महीनों के अनुसार चैत्र, वैशाख, श्रावण, भाद्रपद, माघ एवं फाल्गुन मंत्र सिद्धि के लिए फलदायक माने जाते हैं। 


मंत्र जाप में माला का महत्व


मंत्र जाप की संख्या गिनने के लिए माला का उपयोग करना अनिवार्य है। अन्य साधन जैसे हाथ की अंगुलियां, अक्षत, पुष्प या चंदन का उपयोग मंत्र जाप के लिए कई स्थानों पर अनुचित माना गया है। 


मालाओं का प्रभाव और उपयोग

1. रत्नमाला- श्रेष्ठ फल।

2. रुद्राक्ष माला- अनंत कोटि फल।

3. तुलसी माला- पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा के लिए। 

4. शंख माला- सौ गुना फल।

5. स्फटिक माला- दस हजार गुना फल।

6. कमलगट्टा माला- दस लाख गुना फल।

7. कुशा मूल माला- सौ करोड़ गुना फल।


सिद्ध गुरु का मार्गदर्शन जरूरी


सिद्ध गुरु से मंत्र दीक्षा लेना अनिवार्य है। यदि गुरु उपलब्ध नहीं हों, तो भगवान शिव को गुरु मानकर उनकी आज्ञा से भी मंत्र जाप का आरंभ कर सकते हैं। शास्त्रों के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का प्रतिदिन 108 बार इसका जाप करने से जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। गायत्री मंत्र और अन्य शक्तिशाली मंत्रों के लिए तुलसी या रुद्राक्ष की माला का उपयोग किया जा सकता है। 


मंत्र सिद्धि के पांच अंग 


  1. मंत्र जप
  2. हवन
  3. तर्पण
  4. मार्जन (शुद्धिकरण)
  5. ब्राह्मण भोजन


कितना और कब तक मंत्र जाप करें?


मंत्र जाप हमेशा एक ही समय, स्थान, और आसन पर करना चाहिए। पहले एक ही देवी-देवता और मंत्र को साधें। इसके लिए नियमित और निश्चित संख्या में मंत्र का जाप करें। तंत्र शास्त्र के अनुसार मंत्र जाप से अलग अलग तरह की सिद्धि प्राप्त होती है। 

  • "जपात सिद्धि": लगातार मंत्र जाप करते रहें। 
  • "अधिकस्य अधिकं फलम्": जितना अधिक जाप करेंगे, उतना अधिक फल मिलेगा। 
  • "एक साधे सब सधे": किसी एक मंत्र और एक देवता को साधने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं

विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय
कणामृताय शशिशेखरधारणाय ।

भोलेनाथ है वो मेरे, भोलेनाथ हैं (Bholenath Hai Vo Mere Bholenath Hai)

हर इक डगर पे हरपल,
जो मेरे साथ हैं,

सरस्वती अमृतवाणी (Saraswati Amritwani)

सुरमय वीणा धारिणी,
सरस्वती कला निधान,

मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू क्यों खाते हैं

मकर संक्रांति, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं। यह दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है।

यह भी जाने