नवीनतम लेख

नामकरण संस्कार पूजा विधि

NamKaran Sanskar Puja Vidhi: नामकरण संस्कार के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, जानें पूजा विधि


नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक है, जिसमें बच्चे को उसकी पहचान दी जाती है। यह बच्चे के जीवन का पहला अनुष्ठान होता है। आमतौर पर जन्म के 11वें दिन किया जाता है, लेकिन कुछ परिवारों में यह 21वें दिन या किसी शुभ तिथि पर भी किया जाता है। इस अनुष्ठान का उद्देश्य बच्चे को ऐसा नाम देना होता है, जो समाज में उसकी पहचान बने और जीवन में सफलता के द्वार खोले। नामकरण संस्कार इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें देवी-देवताओं से बच्चे को आशीर्वाद देने का आवाहन किया जाता है। चलिए आपको इस अनुष्ठान की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से लेख के जरिए बताते हैं।


नामकरण संस्कार की पूजा विधि


  • अन्य संस्कार की तरह इसमें भी सबसे पहले  ज्योतिषीय गणना और पंचांग के अनुसार शुभ तिथि, नक्षत्र और ग्रह दशा को देखकर समय तय किया जाता है।
  • शुभ मुहूर्त मिलने के बाद इस दिन घर की साफ-सफाई की जाती है और भगवान गणेश, देवी सरस्वती और कुलदेवता की पूजा की जाती है।
  • पंडित जी विशेष वैदिक मंत्रों का उच्चारण करते हुए घर में हवन करते है। इससे शिशु के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  • इसके बाद बच्चे का नाम उसके जन्म नक्षत्र, राशि और पारिवारिक परंपरा के अनुसार रखा जाता है। परिवार के बड़े बुजुर्ग शिशु के कान में तीन बार उसका नाम फूंकते हैं, 
  • इसके बाद परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार शिशु को उनके नए नाम से संबोधित करना शुरू करते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं।


ध्यान रखने वाली विशेष बातें


बच्चे का नाम रखते समय राशि और नक्षत्र का ध्यान रखें।  ध्यान रखें कि बच्चे  के नाम का अर्थ सकारात्मक और शुभ हो। इसके साथ ही बच्चे का नाम छोटा, सरल और उच्चारण में आसान हो। धार्मिक और पारिवारिक परंपराओं के अनुसार नाम का चयन करें। संस्कार को खुशी और शुभता के माहौल में संपन्न करें।


नामकरण संस्कार का महत्व


इस संस्कार का बच्चे के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस संस्कार के दौरान बच्चे को दिया गया नाम उसके व्यक्तित्व और भविष्य को प्रभावित करता है।इस संस्कार के माध्यम से शिशु को परिवार और समाज में एक विशिष्ट पहचान मिलती है। इसलिए, बच्चे का नाम बहुत सोच-समझ कर रखा जाता है। हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि नाम में विशेष ऊर्जा और शक्ति होती है, जो व्यक्ति के जीवन पर प्रभाव डालती है। 


काजल टीको लगवा ले लुन राइ करवा ले - भजन (Kajal Tiko Lagwale Lun Rai Karva Le)

काजल टीको लगवा ले,
लुन राइ करवा ले,

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू (Bhole Baba Ne Yuhi Bajaya Damru)

भोले बाबा ने यूँ ही बजाया डमरू,
सारा कैलाश पर्वत मगन हो गया ॥

एकादशी माता की आरती (Ekadashi Mata Ki Aarti)

ॐ जय एकादशी माता, मैया जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥

होली पर मां लक्ष्मी की पूजा विधि

होली का हर पल जीवन के लिए एक संदेश लेकर आता है। इस दिन मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं और जीवन में कभी भी आर्थिक तंगी नहीं आती है। इस साल होली 14 मार्च को मनाई जा रही है। 14 मार्च को शुक्रवार है। शुक्रवार को देवी लक्ष्मी का दिन माना जाता है। इस दिन वैभव लक्ष्मी व्रत भी रखा जाता है।

यह भी जाने