नवीनतम लेख

होलाष्टक में ये कार्य कर बचें धन हानि से

Holashtak 2025: अष्टमी से होलिकादहन तक करें ये उपाय, पूरे साल नहीं होगी धन की हानि


होलाष्टक की तिथि माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक होती है। यह समय पुराणिक कथाओं के अनुसार महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि अष्टमी तिथि से पूर्णिमा की तिथि भक्त प्रह्लाद की भक्ति और भगवान विष्णु की महिमा को दर्शाती है। इसलिए कुछ उपाय करने से इस समय में आप भगवान का आशीर्वाद पाकर धन हानि से बच सकते हैं। आइए उन उपायों को विस्तार में समझें।



माता लक्ष्मी और विष्णु पूजन से नहीं होगी धन हानि


होलाष्टक की तिथि विष्णु पूजन के लिए बहुत शुभ होती है। अगर भगवान विष्णु जी के साथ माँ लक्ष्मी, जो विष्णु जी की धर्मपत्नी हैं, उनकी भी पूजा साथ में हो तो पूरे साल धन हानि नहीं होती और माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।


  • प्रातः स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
  • माँ लक्ष्मी और विष्णु जी की पूजा विधिवत रूप से करें और पीले फूल हर रोज चढ़ाएं।
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  • माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु की आरती करें।
  • होलाष्टक तिथि में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु के नाम का जाप करते रहें।
  • रोज सुबह तुलसी में जल दें और शाम को दीया जलाएं। माँ तुलसी भी भगवान विष्णु की प्रिय हैं, इसलिए उनकी पूजा से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और धन का लाभ होता है।



होलाष्टक में दान-पुण्य से नहीं होगी धन हानि


होलाष्टक की तिथि दान-पुण्य के लिए अच्छी होती है। हालांकि इस समय कोई शुभ कार्य नहीं होता है और ग्रह भी सही दिशाओं में नहीं रहते हैं, इसलिए इस समय दान-पुण्य करना चाहिए जिससे नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव भी कम होता है।


  • चावल, दाल, गेहूं आदि अनाज तथा गुड़, हल्दी, तिल और कपड़े भी दान करें।
  • प्रतिदिन सुबह-शाम पूजा स्थल पर घी का दीया जलाएं।
  • घर में शांति बनाए रखें।



होलिकादहन की राख देगी धन लाभ


होलिकादहन की राख तिजोरी में रखना शुभ माना जाता है। यह बुरी शक्तियों के नाश का प्रतीक है, इसलिए जब आप इसे अपनी तिजोरी में रखते हैं तो यह धन हानि का भी नाश करती है। होलाष्टक का यह समय मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का पूजन आपको धन लाभ दिला सकता है और आप ये सब उपाय करके पूरे साल खुद को धन हानि से बचा सकते हैं।


करो कृपा कुछ ऐसी, तेरे दर आता रहूँ (Karo Kripa Kuchh Aisi, Tere Dar Aata Rahun)

करो कृपा कुछ ऐसी,
तेरे दर आता रहूँ,

गोवर्धन पूजा की कथा

गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो भगवान कृष्ण की महिमा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम का उत्सव मनाता है। इस त्योहार के दौरान, एक पारंपरिक प्रथा है जिसमें गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाई जाती है।

तू टेढ़ा तेरी टेढ़ी रे नजरिया - भजन (Tu Tedha Teri Tedhi Re Najariya)

तू टेढ़ा तेरी टेढ़ी रे नजरिया,
मै सीधी मेरी सीधी रे डगरिया,

मोरे गणपति गणेश करों किरपा(More Ganpati Ganesh Karo Kirpa)

जो कुछ है सब तोय,
तेरा तुझको सौंप दूँ,