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मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ (Main To Shiv Hi Shiv Ko Dhyau)

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढ़ाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

मैं तो जलधारा बरसाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

और अगड़बंब मुख गाऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥


तब प्रसन्न भए शिव राजा,

तब प्रसन्न भए शिव राजा,

वर माँगो सारू काजा,

वर माँगो सारू काजा ॥


मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


धन नरसी बुद्धि तिहारी,

धन नरसी बुद्धि तिहारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी,

ते तो वर मांग्यो अति भारी ॥


अस बुद्धि और को पावे,

अस बुद्धि और को पावे,

हरि भक्तन को हरि भावे,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये,

मोको और कछु ना चाहिए,

श्री राधा कृष्ण मिलइये ॥


मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊँ,

जल से स्नान कराऊँ,

मैं तो चावल चंदन चढाऊँ,

और आक धतूरा ल्याऊँ,

मैं तो शिव ही शिव को ध्याऊं,

जल से स्नान कराऊँ ॥

आई होली सावरिया: भजन (Aae Holi Sawariya)

धूम मचाने आ जइयो आई होली सावरिया,
होली सावरिया आई होली सावरिया,

भस्म तेरे तन की, बन जाऊं भोलेनाथ (Bhasm Tere Tan Ki Ban Jau Bholenath)

भस्म तेरे तन की,
बन जाऊं भोलेनाथ,

सूरज चंदा तारे उसके - भजन (Suraj Chanda Taare Uske)

सूरज चंदा तारे उसके,
धरती आसमान,

वैकुंठ एकादशी पूजा विधि

वैकुंठ एकादशी को सनातन धर्म में बेहद शुभ माना गया है। इसे मुक्कोटी एकादशी, पुत्रदा एकादशी और स्‍वर्ग वथिल एकादशी भी कहते हैं। ऐसी मान्‍यता है कि यह एकादशी व्रत करने से वैकुंठ के द्वार खुलते हैं।

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