नवीनतम लेख

छोटी होली पूजा विधि

छोटी होली पर इस विधि से करें भक्त प्रहलाद और विष्णु जी की पूजा, घर में रहेगा सुख और समृद्धि का वास


साल 2025 में छोटी होली 13 मार्च गुरूवार को है। ये दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और उनके परम भक्त प्रहलाद की पूजा के लिए समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि इन दोनों की पूजा करने से जीवन में भक्ति और आनंद के साथ समृद्धि की प्राप्ति होती है। अगर आप छोटी होली पर पूजा करने की सही विधि नहीं जानते हैं तो ये लेख आपके लिए है। 



छोटी होली पर करें भगवान विष्णु की पूजा 


भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं और नहाकर शुद्ध पीले वस्त्र धराण करें। भगवान विष्णु के साथ माँ लक्ष्मी और भक्त प्रहलाद की पूजा करनी चाहिए। उन्हें मीठे में मालपुआ, खीर का भोग लगाएं साथ में उन्हें पीले फूल भी चढ़ाएं। इसके बाद आप विष्णु स्त्रोत पढें और घी के दिए जलाकर आरती करें। इसके बाद धूप जलाकर पूरे घर में घुमाएं।



इस तरह करें होली की पूजा


छोटी होली के दिन लकड़ी और गौ काष्ठ से होली बनाई जाती है, जिसका रात्रि में दहन किया जाता है। होलिकादहन से पहले होली की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं पूजा विधि: 


  • छोटी होली के दिन सूर्यस्त होने के बाद आप के शहर में जहां भी होलिका दहन होता है, वहां जरूर जाएं।
  • लकड़ी या गौकाष्ठ ने बनी होली पर जल, कुमकुम, अक्षत, फूल, दीप, धूप, प्रसाद वा नारियल के साथ पूजा करें।
  • इसके बाद होलिकादहन की अग्नि में गुलाल, पुष्प, अक्षत, रोली, पाँच तरह के अनाज और गेहूं की बालियां अर्पित करें।
  • पीतल के लोटे में शुद्ध जल भर के उसे होलिकादहन के पास अर्पित करें।
  • जिस स्थान पर होलिकादहन हो रहा है, आप वहां सत्तू लेकर चारो तरफ से फेरा बना दे। 
  • होलिकादहन के समय अग्नि में गेहूं की बालियां, चावल और गन्ना भी अर्पण करें
  • होलिका की सात बार परिक्रमा करें।
  • होलिका की राख का माथे पर तिलक लगाएं।



जरूर करें भक्त प्रह्लाद का ध्यान 


छोटी होली का दिन भक्त प्रह्लाद और विष्णु जी से संबंधित है इसलिए भक्त प्रह्लाद को याद करना और उनके नाम का जाप करना शुभ फल देने वाला माना जाता है। 


जन मानस में गुंज रहा है, जय श्री राम (Jan Manas Mein Goonj Raha Hai Jai Shri Ram)

जन मानस में गूंज रहा है,
जय श्री राम जय श्री राम,

हे गजानन पधारो (Hey Gajanan Padharo)

सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति,
विघ्नहरण सुखपाल जी,

भगवान दत्तात्रेय की पौराणिक कथा

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।

पहली बार सकट चौथ करते समय इन बातों का ध्यान रखें

हिंदू धर्म में संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि से जुड़े कई व्रत-त्योहार हैं। जिनमें से सकट चौथ का पर्व विशेष माना जाता है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन महिलाएं संतान की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।