नवीनतम लेख

होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है

गुजिया और होली का गहरा संबंध, जानें क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा


हर घर में होली के मौके पर गुजिया बनाई और खाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर गुजिया बनाने की परंपरा क्यों है? इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व छिपा हुआ है। तो आइए जानते हैं कि होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे की कहानियां क्या हैं।



गुजिया का सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व


गुजिया सिर्फ एक मिठाई ही नहीं, बल्कि हमारी परंपरा और संस्कृति का रूप है। प्राचीन काल से ही होली के समय गुजिया बनाने की रिवाज चली आ रही है। कहा जाता है कि ये मिठाई अकबर और जहांगीर के समय में भी बनाई जाती थी और उस समय इसे ‘गुझिया’ या ‘पेडकिया’ कहा जाता था। इसे आमतौर पर घी में तला जाता था और सूखे मेवों से भरा जाता था, जिससे यह सेहत के लिए भी फायदेमंद होती थी।



गुजिया से जुड़ी दिलचस्प कथा


होली का संबंध भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा से जुड़ा हुआ है। जब प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लिया और हिरण्यकश्यप का अंत किया, तो यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बन गया। इसी खुशी में लोगों ने मीठे पकवान बनाए और एक-दूसरे को बांटे।

इसके साथ ही भगवान विष्णु को मावा और सूखे मेवे से बने पकवान अत्यधिक प्रिय थे, और उनके भक्तों ने एक खास मिठाई बनाई, जिसे बाद में गुजिया का नाम दिया गया। धीरे-धीरे यह परंपरा हर घर में फैल गई और होली पर गुजिया बनाने का रिवाज बन गया।



होली से गुजिया का खास कनेक्शन


होली खासतौर से बृजभूमि (मथुरा-वृंदावन) का त्योहार माना जाता है, और यहां भगवान कृष्ण के समय से ही होली के दौरान खास मिठाइयों का भोग लगाने की परंपरा रही है। दरअसल गुजिया दूध, खोया और मेवों से बनती है, इसलिए इसे बहुत ही शुद्ध और सात्विक मिठाई माना जाता है।

होली के दौरान लोग घर में पकवान बनाकर अपनों के साथ त्योहार मनाते हैं, और गुजिया इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसे बनाना आसान होता है और यह लंबे समय तक खराब नहीं होती, जिससे यह त्योहार की सबसे लोकप्रिय मिठाई बन गई।



गुजिया बनाने की परंपरा है आज भी 


आज के समय में भले ही कई तरह की मिठाइयां बाजार में आ चुकी हैं, लेकिन होली पर गुजिया का स्थान कोई और मिठाई नहीं ले सकती। यह न सिर्फ एक स्वादिष्ट मिठाई है, बल्कि यह हमारे संस्कृति और परंपरा का हिस्सा भी है। यही वजह है कि हर साल होली के अवसर पर गुजिया बनाना और इसे अपनों के साथ बांटना शुभ माना जाता है।


श्री महाकाली चालीसा (Shri Mahakali Chalisa)

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब,
देहु दर्श जगदम्ब अब करहु न मातु विलम्ब ॥

शिवलिंग की सबसे पहले किसने की थी पूजा?

महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का एक महापर्व है। इस दिन को भगवान शिव की कृपा के लिए सबसे खास माना जाता है। महाशिवरात्रि को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं और कथाएं जुड़ी हुई हैं।

Ganpati Ji Ganesh Nu Manaiye (गणपति जी गणेश नू मनाइये)

गणपति जी गणेश नू मनाइये,
सारे काम रास होणगे,

भस्मी लगाएं बाबा, उज्जैन के वो राजा (Bhasmi Lagaye Baba Ujjain Ke Vo Raja)

कालो के काल है,
मृत्यु के है वो राजा,