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प्राणो से भी प्यारा, दादी धाम तुम्हारा (Prano Se Bhi Pyara Dadi Dham Tumhara)

प्राणो से भी प्यारा,

दादी धाम तुम्हारा,

दर्शन कर हो जाता,

ये जीवन सफल हमारा,

तूने सबको तारा,

सबका जीवन संवारा,

तेरे बिन कौन दादी,

हम भक्तों का सहारा ॥


अटके कभी जो नैया,

बने तू खिवैया,

कष्ट सभी के काटे,

मेरी मैया,

अंधियारे जीवन का,

माँ तुम ही हो उजियारा,

दर्शन कर हो जाता,

ये जीवन सफल हमारा ॥


आंसुओ को मेरे अपने,

आँचल से पोंछे,

ममता लूटाकर मैया,

हाल मेरा पूछे,

नित उठ दादी ध्याऊँ,

मैं एक नाम तुम्हारा,

दर्शन कर हो जाता,

ये जीवन सफल हमारा ॥


प्राणो से भी प्यारा,

दादी धाम तुम्हारा,

दर्शन कर हो जाता,

ये जीवन सफल हमारा,

तूने सबको तारा,

सबका जीवन संवारा,

तेरे बिन कौन दादी,

हम भक्तों का सहारा ॥

सज रही मेरी अम्बे मैया - माता भजन (Saj Rahi Meri Ambe Maiya Sunahare Gote Mein)

सज रही मेरी अम्बे मैया, सुनहरी गोटे में ।
सुनहरी गोटे में, सुनहरी गोटे में,

मुंडन संस्कार पूजा विधि

मुंडन संस्कार हिंदू धर्म के सबसे पवित्र संस्कारों में से एक हैं। इसे बच्चे के जन्म के एक निश्चित समय बाद पूरा किया जाना होता है। यह संस्कार बच्चे के जीवन में एक नया चरण शुरू करने का प्रतीक होता है।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

ललिता चालीसा का पाठ

ललिता जयंती का पर्व हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। ललिता माता आदिशक्ति त्रिपुर सुंदरी जगत जननी हैं। मान्यता है कि देवी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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