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मैं लाडली शेरोवाली की: भजन (Main Ladli Sherowali Ki)

मैं कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो,

मैं क्या चाहता हूँ,

ये तुम ही जानो,

मै कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जान ॥


ना दीनता है ना भाव भक्ति,

ना कुछ भजन है ना आत्मशक्ति,

मैं क्या देखता हूँ,

ये तुम ही जानो,

मै कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो ॥


दुनिया से मुझको फुर्सत ना मिलती,

तक़दीर की मेरी अटकन ना मिटती,

मैं क्या मांगता हूँ,

ये तुम ही जानो,

मै कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो ॥


यही दर्द दिल में तड़पन है भारी,

तेरे दर पे आया आगे मर्जी तुम्हारी,

मैं पागल बना हूँ,

ये तुम ही जानो,

मै कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो ॥


मैं कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो,

मैं क्या चाहता हूँ,

ये तुम ही जानो,

मै कितना अधम हूँ,

ये तुम ही जानो ॥

बिगड़ी मेरी बना दे ओ शेरो वाली मैय्या

सदा पापी से पापी को भी तुम, माँ, भव-सिंधु तारी हो फँसी मझधार में नैय्या को भी पल में उबारी हो

फूल देई, छम्मा देई (Phool Dei, Chamma Dei Geet)

फूल देई, छम्मा देई ।
जतुके दियाला, उतुके सई ॥

मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे(Meri Jhopdi Ke Bhag Aaj Khul Jayenge)

मेरी झोपड़ी के भाग,
आज खुल जाएंगे,

मकर संक्रांति पर सूर्य को अर्घ्य कैसे दें

हिंदू धर्म में मकर संक्रांति को सूर्यदेव की उपासना और शनिदोष से मुक्ति के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस दिन सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव के घर आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, साल में 12 संक्रांतियां होती हैं।

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