नवीनतम लेख

महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा का साया

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि पर 11 घंटे भद्रा का साया, जानिए जलाभिषेक और रुद्राभिषेक का समय


वैदिक पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस साल महाशिवरात्रि 26 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। सभी शिवभक्तों को हर साल महाशिवरात्रि के पर्व का इंतजार बेसब्री से रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए विधि-विधान के साथ भगवान शिव की पूजा-आराधना, मंत्रोचार और अनुष्ठान आदि किया जाता है। इस दिन ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाओं को भोले भंडारी जरूर पूरी करते हैं। इस दिन जलाभिषेक के साथ दुग्धाभिषेक, रुद्राभिषेक व पूजन विधि समस्त भक्तों के लिए अत्यंत शुभ फल देने व कल्याण करने वाला होगा। ज्योतिष के अनुसार, इस बार महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया लगने वाला है, तो ऐसे में आपको पता होना चाहिए किस समय शिवलिंग पर जलाभिषेक करें। आइए जानते हैं कि इस बार महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को जल अर्पित करने के लिए सबसे शुभ समय क्या है


महाशवरात्रि पर कब से कब तक रहेगा भद्रा


इस बार महाशिवरात्रि पर भद्रा का साया रहने वाला है। बता दें कि फरवरी यानी महाशिवरात्रि के दिन 26 फरवरी को सबुह 11 बजकर 03 मिनट से रात 10 बजकर 17 मिनट तक भद्रा का साया रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन चतुर्दशी तिथि आरंभ होने के साथ ही भद्रा का साया भी शुरू हो जाएगा। यानी महाशिवरात्रि पर करीब 11 घंटे तक भद्रा का साया रहेगा। हालांकि, भद्रा का त्योहार या शिवलिंग के जलाभिषेक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। 


पालाक में भद्रा


जानकारी के मुताबिक, इस साल महाशिवरात्रि पर भद्रा का वास पाताल लोक में है  शास्त्रों के अनुसार, पाताल लोक की भद्रा पृथ्वी पर असर नहीं डालता है। इसलिए इस बार महाशिवरात्रि पर जल चढ़ाने में भद्रा का कोई असर नहीं होगा। 


क्या है जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त


इस बार महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक के लिए प्रत्येक प्रहर में शुभ मुहूर्त रहेगा। 


  • प्रथम प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी को शाम 06 बजकर 19 मिनट से रात 09 बजकर 26 मिनट तक
  • द्वितीय प्रहर पूजा समय - 26 फरवरी को रात 09 बजकर 26 मिनट से रात 12 बजकर 34 मिनट तक
  • तृतीय प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी की रात 12 बजकर 34 मिनट से सुबह 03 बजकर 41 मिनट तक
  • चतुर्थ प्रहर पूजा समय - 27 फरवरी को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से सुबह 06 बजकर 44 मिनट तक


महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का महत्व


शास्त्रों में महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा करने का विशेष विधान होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि पर रात्रि के चारों पहर में भगवान शिव की पूजा-आराधना करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि चार पहर में चार पहर में पूजा करने से मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


महाशिवरात्रि का महत्व 


सनातन धर्म में महाशिवरात्रि के त्योहार का विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था जिसके कारण हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह मनाया जाता है। वहीं दूसरी धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रि को आदिदेव भगवान शिव, करोड़ों सूर्यों के समान प्रभाव वाले ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए थे। यही कारण है कि इसे हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और मंत्रों का जाप करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं।

जागरण की रात मैया, जागरण में आओ (Jagran Ki Raat Maiya Jagran Mein Aao)

जागरण की रात मैया,
जागरण में आओ,

हे वीणा वादिनी सरस्वती, हंस वाहिनी(Hey Veena Vadini Saraswati Bhajan)

हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती

श्री गणेश चालीसा

जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥

शारदीय नवरात्रि: मां दुर्गा का आगमन, घटस्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त जानें

शारदीय नवरात्रि के दौरान धरती पर आती है मां दुर्गा, जानिए क्या है प्रतिपदा के दिन घटस्थापना और पूजा का शुभ मुहूर्त