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गिरिजा के छैया, गणपति तुम्हे पुकारूँ (Girija Ke Chheya Ganpati Tumhe Pukaru )

गिरिजा के छैया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

पूजूं मैं तुम्हे,

आरती तेरी उतारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


पान फूल मेवा से,

चरणों की सेवा से,

प्रथम तुम्हे पूजूं,

मैं छवि चित धारण,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


देव दुष्ट हन्ता हो,

जगत के नियंता हो,

शरण आऊं आपकी,

मैं पइयाँ पखारूँ,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


रिद्धि सिद्धि दाता हो,

ज्ञान के विधाता हो,

हर लो दुःख देवा,

आशा से तुम्हे निहारूं,

गिरिजा के छैंया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥


गिरिजा के छैया,

गणपति तुम्हे पुकारूँ,

पूजूं मैं तुम्हे,

आरती तेरी उतारूँ,

गिरिजा के छैंया ॥

दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।

मैया के पावन चरणों में (Maiya Ke Pawan Charno Mein)

मैया के पावन चरणों में,
तू सर झुका के देख ले,

शिव ताण्डव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram)

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।

होली खेलन आयो श्याम, आज(Holi Khelan Aayo Shyam, Aaj)

होली खेलन आयो श्याम
होली खेलन आयो श्याम,

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