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भगवा रंग चढ़ने लगा है(Bhagwa Rang Chadne Laga Hai)

मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

मंदिर जब बन जायेगा,

सोच नजारा क्या होगा,

देश हमारा देश हमारा,

सोच के देखो,

इससे प्यारा क्या होगा ॥


काशी अब सजने लगा है,

डमरू भी बजने लगा है,

काशी अब सजने लगा है,

डमरू भी बजने लगा है,

डमरू जब असर करेगा,

सोच नजारा क्या होगा,

देश हमारा देश हमारा,

सोच के देखो,

इससे प्यारा क्या होगा ॥


मथुरा भी सजने लगी है,

बंशी अब बजने लगी है,

मथुरा भी सजने लगी है,

बंशी अब बजने लगी है,

बंशी जब बज जायेगी,

सोच नजारा क्या होगा,

देश हमारा देश हमारा,

सोच के देखो,

इससे प्यारा क्या होगा ॥


मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

मंदिर जब बन जायेगा,

सोच नजारा क्या होगा,

देश हमारा देश हमारा,

सोच के देखो,

इससे प्यारा क्या होगा ॥


मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

मंदिर अब बनने लगा है,

भगवा रंग चढ़ने लगा है,

ऋषि पंचमी पर जानें क्या है पुजा का शुभ मुहुर्त और इस दिन का महत्व

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी पर्व हमारे जीवन में पवित्रता और ज्ञान का संगम है।

जय माता दी गाये जा, मैया को मनाये जा (Jai Mata Di Gaye Ja Maiya Ko Manaye Ja)

जय माता दी गाये जा,
मैया को मनाये जा,

नमो नमो शंकरा(Namo Namo Shankara)

जय हो, जय हो शंकरा
भोलेनाथ, शंकरा

स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।