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तुम्ही मेरी नइया, किनारा तुम्ही हो (Tumhi Meri Naiya Kinara Tumhi Ho)

तुम्ही मेरी नइया,

किनारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


ये नर तन का चोला,

बनाया है तुमने,

सभी अंग ढ़ंग से,

सजाया है तुमने,

तुम्ही मेरी नजरें प्रभुजी,

नजारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही सूर्य बनकर,

चमकते हो प्यारे,

तुम्ही बिजली बनकर,

कड़कते हो प्यारे,

तुम्ही चाँद तारे प्रभुजी,

सितारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही बनके बादल,

बरसते हो प्यारे,

तुम्ही फूल बनकर,

महकते हो प्यारे,

नदी सिंधु सागर की,

धारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


कृपा कोप करुणा,

सभी काम तेरे,

सभी रूप तेरे,

सभी नाम तेरे,

‘देवेंद्र राजेंद्र कैलाश’,

शरण आए तेरे,

यति भिक्षु सद्गुरु,

हमारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥


तुम्ही मेरी नइया,

किनारा तुम्ही हो,

मेरी जिंदगी का,

सहारा तुम्ही हो,

तुम्ही मेरी नईया,

किनारा तुम्ही हो ॥

विश्वेश्वर व्रत कथा

सनातन धर्म में प्राचीन काल से ही विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत पवित्र व्रत है। इस व्रत को शिव जी की कृपा प्राप्त करने के उद्देश्य से रखा जाता है।

होली और रंगों का अनोखा रिश्ता

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अथ देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम् (Ath Devyaparadha Kshamapana Stotram)

देव्यपराधक्षमापनस्तोत्रम्, माँ दुर्गा का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। इसे आदि गुरु शंकराचार्य ने लिखा था। यह उनकी सर्वश्रेष्ठ और कानों को सुख देने वाली स्तुतियों में से एक है।