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उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥


सुनले लक्ष्मण भैया रोएगी तेरी मैया,

मुखड़ा दिखलाऊंगा कैसे,

मुखड़ा दिखलाऊंगा कैसे,

जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥


सुन मेरे बजरंगी अब तू ही मेरा संगी,

ला कर दे संजीवन बूटी,

ला कर दे संजीवन बूटी,

जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥


संजीवन बूटी लाई लक्ष्मण को घोल पिलाई,

गले मिल गये दोनो भैया,

गले मिल गये दोनो भैया,

जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥


भक्त मंडल ने गाइ तेरी महिमा बर्नी ना जाये,

भव सागर मे नैया डोले,

भव सागर मे नैया डोले,

जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥


उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,

लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

पौष माह में क्या करें और क्या नहीं

हिंदू पंचांग के अनुसार पौष माह साल का 10 वां, महीना होता है जो मार्गशीर्ष पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। वैदिक पंचाग के अनुसार इस साल पौष माह 16 दिसंबर से प्रारंभ हो चुकी है।

कोई देवता नही है, भोले नाथ की तरह (Koi Devta Nahi Hai Bhole Nath Ki Tarah)

कोई देवता नही है,
भोले नाथ की तरह,

गौरा जी को भोले का, योगी रूप सुहाया है(Goura Ji Ko Bhole Ka Yogi Roop Suhaya Hai)

गौरा जी को भोले का,
योगी रूप सुहाया है,

मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना (Mujhe Ras Agaya Hai Tere Dar Pe Sar Jhukana)

मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना ।