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हो लाल मेरी पत रखियो बला - दमादम मस्त कलन्दर (O Lal Meri Pat Rakhiyo Bala Duma Dum Mast Kalandar)

ओ हो, हो हो हो

हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

सिंदड़ी दा सेवण दा

सखी शाह बाज़ कलन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दम दम दे अन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दा पैला नम्बर

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


चार चराग़ तेरे बरण हमेशा॥ चार चराग़ तेरे...॥

पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण

हो पंजवा मैं

पंजवा मैं बारण आई बला झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


हिंद सिंद पीरा तेरी नौबत बाजे॥ हिंद सिंद पीरा तेरी...॥

नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण

हो नाल बजे

नाल बजे घड़ियाल बला झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥

॥ हो लाल मेरी पत रखियो बला...॥


ओ हो

हर दम पीरा तेरी ख़ैर होवे॥ हर दम पीरा तेरी...॥

नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण

हो नाम-ए-अली

नाम-ए-अली बेड़ा पार लगा झूले लालण


॥ सिंदड़ी दा सेवण दा...॥


हो लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

ओ लाल मेरी पत रखियो बला झूले लालण

सिंदड़ी दा सेवण दा

सखी शाह बाज़ कलन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दम दम दे अन्दर

दमादम मस्त कलन्दर

अली दा पैला नम्बर

नर्मदा में स्नान के अद्भुत लाभ

भारतीय संस्कृति में नदियों का महत्व बहुत अधिक है, उन्हें मां का दर्जा दिया जाता है। गंगा नदी के प्रति लोगों की आस्था से अधिकतर लोग परिचित हैं। हालांकि, देश भर में खासकर मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी का काफी महत्व है। इस बार 4 फरवरी को नर्मदा जयंती मनाई जा रही है।

माता जानकी के जन्म से जुड़ी कथा

माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।

वो कौन है जिसने हम को दी पहचान है (Wo Kon Hai Jisne Humko Di Pahachan Hai)

वो कौन है जिसने,
हम को दी पहचान है,

मार्गशीर्ष माह के प्रमुख व्रत और पूजा विधि (Margashirsha Maas Ke Pramukh Vrat Aur Puja Vidhi)

मार्गशीर्ष मास हिंदू पंचांग का नौवां माह है, जो कि आश्विन मास के बाद आता है। इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की गणना 16 नवंबर से 15 दिसंबर 2024 तक है।

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